India News (इंडिया न्यूज़), दिल्ली: आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष इसुदान गढ़वी के 2024 का लोकसभा चुनाव गुजरात में कांग्रेस के साथ लड़ने के ऐलान से उनकी ही पार्टी के आला कमान में भी खलबली मच गई है. इसुदान ने सोमवार को बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में AAP कांग्रेस के साथ I.N.D.I.A गठबंधन के तहत चुनाव लड़ेगी. इसुदान गढ़वी को जल्दबाजी में एलान करने के लिए अपनी ही पार्टी के आला कमान से फटकार भी झेलनी पड़ी. 2022 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने सभी सीटों पर उम्मीदवार खडे कीये थे. और वह सिर्फ 5 सीट ही जीत पाई थी. इस चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के वोटों में सेंधमारी की और इसके चलते 2017 में 79 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 2022 ममें 17 सीटों पर सिमट कर रह गई. हैरानी की बात यह है कि 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी को कांग्रेस नेताओं ने भाजपा की B टीम माना था और अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि वही आम आदमी पार्टी अब कांग्रेस की B टीम बનनेगी.
पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए विधानसभा चुनाव में 182 में से 156 सीटें जीती थीं. विपक्ष के वोट कांग्रेस और आप के बीच बंट गए. इससे बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा है. पार्टी को 2017 चुनाव के मुकाबले तीन फीसदी ज्यादा वोट मिले. पार्टी ने 2017 के राज्य विधानसभा चुनावों में 49.1% वोट शेयर के साथ 99 सीटें जीतीं थीथी. 2022 के चुनाव में पार्टी ने 52.50% वोटों के साथ 156 सीटें जीतीं हहै. जबकि कांग्रेस और AAP का वोट शेयर 27.28% और 12.92% रहा. कांग्रेस के वोट शेयर में सीधे तौर पर 14.16 की कमी दर्ज की गई. माना जा रहा है कि कांग्रेस की इस कमजोर स्थिति को देखकर कई लोगों ने भाजपा को वोट दिया. ये वो वोटर थे जो AAP को वोट नहीं देना चाहते थे. लोकसभा चुनाव की बात करें तो 2014 में बीजेपी को 59.1% वोट मिले थे, 2019 में ये प्रतिशत बढ़कर 62.21% हो गया. वहीं, कांग्रेस को 2019 में 32.9% और 32.11% वोट मिले थे. हालांकि, दोनों ही चुनावों में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी. जिससे पता चलता है कि गुजरात में भाजपा कितनी मजबूत है.
अगर I.N.D.I.A का गठबंधन होता है तो इसे गुजरात में भी लागू किया जाएगा, लेकिन जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने गुजरात में इसका ऐलान किया है, ये थोड़ा प्री-मैच्योर है. आम आदमी पार्टी के पास करीब 13 फीसदी वोट हैं. दोनों पक्षों के एक साथ आने से फर्क पड़ सकता है, लेकिन यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि दोनों पक्ष किस रणनीति के साथ चलते हैं. क्योंकि भाजपा न सिर्फ मजबूत है बल्कि चुनाव प्रबंधन और रणनीति बनाने में भी वो बाकी पार्टियों से बेहतर है. ऐसे में सिर्फ साथ आने से बात नहीं बनेगी, बहुत कुछ रणनीति बनाने और प्रबंधन पर भी निर्भर करेगा.
पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 42 लाख वोट मिले थे. सूरत को छोड़कर गुजरात के शहरी इलाकों में कांग्रेस और आप का कोई प्रभाव देखने को नहीं मिला. भाजपा बहुत मजबूत है. गुजरात में कांग्रेस और AAP साथ मिलकर लड़ने की चर्चा शुरू हो गई है. दोनों पार्टियों के बीच का तालमेल निश्चित तौर पर ग्रामीण इलाकों में भाजपा को परेशानी में डाल सकता है. अब देखना यह है कि मामला किस तरह आगे बढ़ता है. इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा.
कांग्रेस से ‘आप’ की दोस्ती के फायदे और नुकसान दोनों हैं. अब तक आप राज्य में दोनों पार्टियों से अलग होने का दावा करती रही है. अगर गठबंधन होता है तो साख को झटका लगेगा कि यह पार्टी कांग्रेस और बीजेपी जैसी ही है. इसके अलावा पिछले दिनों दोनों पार्टियों के नेताओं ने एक दूसरे को लेकर बातचीत भी की थी. उन बयानों से चुनावी माहौल में काफी दिक्कत होगी. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि भाजपा मजबूत है, लेकिन गठबंधन पांच से छह सीटों पर भाजपा को चुनौती देने की स्थिति में हो सकता है. अगर दोनों पार्टियां अलग-अलग लड़ती हैं तो भाजपा के लिए वॉकओवर जैसी स्थिति खत्म हो जाएगी. जब तक प्रदेश में आप संगठित नहीं हुई, तब तक कांग्रेस का मान. यहां मान शब्द का अर्थ नेताओं की विश्वसनीयता से है. सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि गुजरात कांग्रेस के नेता इस गठबंधन को कैसे लेते हैं? क्या वह सीट छोड़ने को तैयार होंगे? ऐसे में अब तो ये अच्छा लग रहा है लेकिन कई पेच बाकी हैं जिसमें दोनों पार्टी अटक जाएंगी.
आइए कांग्रेस और आप की दोस्ती को थोड़ा अलग तरीके से डिकोड करते हैं. फिलहाल राज्य में भाजपा के लिए कोई चुनौती नहीं है. दोनों पक्षों के एक साथ आने से फर्क पड़ेगा. बीजेपी का सपना हर सीट पांच लाख के अंतर से जीतने का है. यह पूरा नहीं हो सकता. दोनों दलों का गठबंधन विधानसभा के लिए अधिक प्रभावी होता. आगे भी ऐसा हो सकता है. लोकसभा चुनाव में गुजराती मतदाता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देखकर ही वोट डालते है और आगे भी एसा ही करेंगे.
दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य गुजरात में आम आदमी पार्टी (AAP) ने I.N.D.I.A गठबंधन के साथ आगे बढ़ने की घोषणा की है. गठबंधन विस्तार की घोषणा के बाद पार्टी की वरिष्ठ नेता चैतर वसावा ने भरूच से अपनी दावेदारी ठोक दी है, लेकिन इन सबके बीच क्या कांग्रेस और आप के एक साथ आने से भाजपा का खेल बिगड़ जाएगा ये बड़ा सवाल है. क्या बदल जाएगा लोकसभा का गणित? क्या गुजरात में दोनों पार्टियों की लड़ाई भाजपा को परेशान करेगी? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिन पर गुजरात के राजनीतिक गलियारों में जमकर बहस हो रही है. कांग्रेस-आप की दोस्ती राज्य की राजनीति पर कितना असर डालेगी? इसे लेकर विशेषज्ञ एकमत नहीं हैं. उनका कहना है कि I.N.D.I.A गठबंधन का ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. इनमें सबसे बड़े नाम में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं.
(लेखक अभिजीत भट्ट इंडिया न्यूज़ गुजरात के संपादक है)
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