India News (इंडिया न्यूज), Women Naga Sadhu: हिंदू धर्म में साधु-संतों का सबसे ऊंचा स्थान रखा गया है। हिंदू धर्म में कई तरह क साधु होते हैं। उनमें से ही एक नागा साधु भी होते हैं। जिनके बारे में हम सभी ने भी सुना और देखा भी है। लेकिन शायद ही लोगों ने महिला नागा साधु को देखा या उनके बारे में सुना हो। दरअसल, ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि महिला नागा साधु बहुत कम लोगों के सामने आती हैं और ज़्यादातर महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों में ही नज़र आती हैं। अगला महाकुंभ 2025 में प्रयागराज में आयोजित किया जाएगा, जहां महिला नागा साधुओं को देखा जा सकेगा। महिलाओं के लिए नागा साधु बनना इतना मुश्किल क्यों है? वहीं हम इस लेख में जानेंगे कि महिलाएं कैसे नागा साधु बनती हैं और उनका जीवन कैसा होता है।

क्या महिला नागा साधु बनना है कठिन?

बता दें कि, महिला नागा साधु बनने के लिए महिलाओं को एक बहुत ही कठिन और लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। सबसे पहले महिलाओं को 6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। इस दौरान उन्हें अखाड़े के नियमों का पालन करना होता है। जब यह अवधि पूरी हो जाती है, तब उन्हें नागा साधु बनने की अनुमति मिलती है। वहीं नागा साधु बनना सिर्फ़ एक साधारण साधु बनने से कहीं बढ़कर है। यह एक उपाधि है, जो सिर्फ़ वैष्णव, शैव या उदासी अखाड़ों से जुड़े साधुओं को ही दी जाती है।

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महिला नागा साधुओं का पहनावा और आचरण पुरुष नागा साधु अक्सर नग्न रहते हैं। जबकि महिला नागा साधुओं के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है। उन्हें हमेशा भगवा वस्त्र पहनना होता है, जो सिले हुए नहीं होते। वे इस कपड़े को अपने पूरे शरीर पर लपेटती हैं। उनके माथे पर तिलक और शरीर पर भस्म होती है, जो उनके आध्यात्मिक जीवन का प्रतीक है।

कहां रहती हैं नागा महिलाएं?

दरअसल, महिला नागा साधु बनने के लिए महिलाओं को अपने सभी सांसारिक संबंधों का त्याग करना पड़ता है। अखाड़े के महामंडलेश्वर उनकी संन्यास प्रक्रिया पूरी करते हैं। इसके बाद वे भगवा वस्त्र पहनकर, सिर मुंडवाकर और जीवित रहते हुए अपना पिंडदान करवाकर नया जीवन शुरू करती हैं। पिंडदान आमतौर पर मृत्यु के बाद किया जाता है। लेकिन महिला नागा साधुओं के लिए यह उनके नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। बता दें कि, पुरुष नागा साधु अक्सर लोगों के बीच आते हैं, लेकिन महिला नागा साधु पहाड़ों, जंगलों और गुफाओं में रहकर साधना करती हैं। ये स्थान उनके लिए ध्यान और साधना के लिए उपयुक्त हैं। हालांकि महाकुंभ जैसे आयोजनों में महिला नागा साधुओं को संगम में डुबकी लगाते हुए देखा जा सकता है।

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