Women Reservation Bill: देश की आधी आबादी को जश्न मनाने का दिन

India News(इंडिया न्यूज), Rakesh Sharma, Women Reservation Bill: असंभव को संभव करने का सौभाग्य मोदी की ही क़िस्मत में लिखा है, यह बात मोदी जी कई मौक़ों पर कहते देखे गए हैं। ये सत्य है मोदी जी ने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में बहुत से ऐसे निर्णय लिए हैं जिन्हें कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल या तो छूना ही नहीं चाहते थे या हमेशा टालना चाहते रहे हैं। यह सब करने में उनकी राजनैतिक इच्छा शक्ति की कमी या राजनैतिक नफ़ा नुक़सान का गुणा भाग ही रहा। मोदी जी ने राजनैतिक नफ़े नुक़सान की परवाह किए बिना वो सब किया जो राष्ट्र के हित में था। वो चाहें तीन तलाक़ को ग़ैर क़ानूनी बनाना हो, धारा 370 और 35 A को जम्मू काश्मीर में निरस्त करना हो, जीएसटी लागू करना हो, नोट बंदी करनी हो, सबका साथ, सबका विकास करना हो, शेर सारी ग़रीब, शोषित, वंचित लोगों के कल्याण के लिए विभिन्न स्कीम लागू करनी हो, मेक इन इंडिया को लागू करना हो, बिना रुके बिना थके 365 दिन अनवरत कार्य करने की परंपरा प्रारंभ करनी हो इत्यादि इत्यादि।

संसद और विधान सभाओं में 33 प्रतिशत रिजर्वेशन

इसी श्रृंखला में आज मोदी कैबिनेट ने एक ऐसा फेंसला ले लिया जो पिछले तीन दसक से संसद के गलियारों में बंद अलमारियों में धूल चाट रहा था, जो सत्ताहत्र साल की आज़ादी में नहीं हुआ उसे आज मोदी कैबिनेट ने पास कर दिया। अब देश की आधी आबादी को संसद और विधान सभाओं में तैंतीस प्रतिशत रिजर्वेशन सुरक्षित किया जाएगा। अब यह बिल संसद पटल पर रख इसे पास कराया जाएगा।

किसमे कितना है दम

अब देखना होगा की I.N.D.I.A. के घटक दलों का इस बिल पर क्या रवैया होगा। पिछली बार जब यह बिल संसद में लाया गया था तब समाजवादियों, राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल (यूनाइटेड) ने इसका पुरज़ोर विरोध किया था। शरद यादव ने तो यहां तक कह दिया था की क्या अब इस सदन में पर कटियां देखी जायेंगी, मुलायम सिंह ने इस बिल को ही फाड़ दिया था। सोनिया गांधी ने अपनी सरकार को गिरने से बचाने के लिए इसे पास कराने इच्छाशक्ति से प्रयास ही नहीं किया था। कांग्रेस ने इस बिल का विरोध 1996, 1998, 2002 और 2003 में किया था।

अब विश्वास है की मोदी जी इसे अवश्य पास करा देंगे

महिलाएं आज हमारे देश के हर क्षेत्र में आगे बढ़ी हैं बेहतरीन कार्य कर रही हैं, चांद्रायण ३ की मुख्य टीम में महिलाएं आगे थीं, राजनीति, अध्यापन, वकालत, डाक्टरी, फ़ोज, घर कहीं भी हों अग्रणी है तो संसद में जहां क़ानून बनते है, राष्ट्र की दशा दिशा का निर्धारण होता वह वहां आबादी का पचास प्रतिशत होते हुए भी उनका उचित प्रतिनिधित्व क्यूों नहीं मिला। आज़ादी से अब तक लगभग साढ़े सात हज़ार सांसद बने लेकिन महिलाओं की भागीदारी केवल लगभग छह सो ही रही।

अब आएगा बदलाव

अब महिलाओं के आरक्षण का क़ानून पास हो जाने के बाद लोकसभा और राज्यसभा में महिलाओं के भागीदारी क्रमशः 180 और 83 हो जाएगी। भारत में 4033 कुल विधायक हैं और अब इसमें महिलाओं की संख्या 1333 हो जाएगी जो अभी केवल जो अभी केवल 418 जोकि विधायकों की संख्या का केवल 9 प्रतिशत ही है। हमने देखा है पंचायतों में महिलाओं के आरंक्षण का समाज को कितना फ़ायदा हुआ है और अब संसद और विधायिका में 33 प्रतिशत भागीदारी बहुत ही सुखद और आश्चर्यजनक परिणाम लाएगी।

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Itvnetwork Team

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