India News (इंडिया न्यूज), Women’s Reservation Bill: संसद के विशेष सत्र का आज यानी 20 सितंबर को तीसरा दिन है। संसद की कार्यवाही नए संसद भवन में शुरू हो गई है। कल यानी 19 सितंबर को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल को पेश किया गया। बता दें नए संसद में भवन में पेश होने वाला पहला बिल ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ है। ऐसे में आज इस विल को लेकर संसद में बहस जारी है। कहा जा रहा है कि ये बिल अभी सिर्फ पेश किया गया है इसे आने में अभी देरी है। इसे लेकर तर्क दिया जा रहा है कि जनगणना के बाद परिसीमन होकर इस बिल को लागू किया जाएगा। ऐसे में बिल के पास होने में देरी को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलवार है और इस बिल को जल्दी लानें की मांग कर रही है। ऐसे में आइए जानते हैं ये बिल महिलाओं के लिए क्यों जरूरी है।
क्या है महिला आरक्षण बिल?
महिला आरक्षण बिल एक ऐसा बिल हैं जिसे यदि लोकसभा और राज्यसभा से पारित कर दिया गया तो लोकसभा दिल्ली विधानसभा और सभी राज्यों के विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा। आसान भाषा में कहें तो महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित होंगी। वर्तमान स्थिती का उदाहरण लिया जाए तो इस समय लोकसभा में कुल सांसदों की संख्या 543 है जिसमें महिलाओं की भागीदारी 15 प्रतिशत से भी कम है। यानी 543 में से महिलाओं की कुल संख्या केवल 78 हैं। ऐसे में यदि ये बिल दोनों सदनों से पास हो जाता है तो महिलाओं के लिए 33 फीसदी सिटें आरक्षीत हो जाएंगी और तब महिलाओं की संख्या 181 होना अनिवार्य हो जाएगा। हालांकि ये बिल 15 साल के लिए ही लाया जा रहा है। बता दें राज्यों के विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी 12 से 13 प्रतिशत ही है।
- अभी लोक सभा में महिलाओं की संख्या – 78
- बिल आने के बाद कितनी होगी महिलाओं की संख्या – 181
टाइम लाइन के जरिए जानिए कब क्या हुआ?
1996
- सबसे पहली बार 1996 में महिला आरक्षण बिल संसद के पटल पर रखा गया था, उस समय एचडी देवगौड़ा पीएम थे। उस दौरान कई बार कोशिश हुई, लेकिन बात नहीं बन पाई।
1997
- संशोधित महिला आरक्षण बिल 1997 में पेश किया गया, लेकिन तीन यादवों (मुलायम सिंह यादव, लालू यादव और शरद यादव) इसके रास्ते में बाधा बनकर खड़े हो गए।
1998 और 1999
- फिर अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 1998 और 1999 में भी बिल पेश किया लेकिन विपक्ष, विशेषकर सपा और आरजेडी के विरोध के कारण यह पास नहीं हुआ।
2002 और 2003
- एनडीए सरकार ने 2002 में एक बार और 2003 में दो बार बिल पेश किया, लेकिन बहुमत होने के बावजूद बिल पास नहीं करवाया जा सका।
2010
- 2010 में भी यह बिल राज्यसभा से पास हो गया था, लेकिन लोकसभा में यह अटक गया था।
2017
- 2017 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस संबंध में पीएम मोदी को पत्र लिखा था।
2023
- 2023 संसद के विशेष सत्र के बीच मोदी कैबिनेट ने एक अहम बैठक में महिला आरक्षण बिल को अपनी मंजूरी दी और लोकसभा में पेश किया गया।
क्यों जरूरी है महिला आरक्षण बिल ?
महिला आरक्षण बिल का मुद्दा जरूरी है क्योंकि यह समाज में जातिवाद, लिंग भेदभाव, और महिलाओं की समाज में समान अधिकारों की गरिमा को बढ़ावा देता है और उन्हें समाज में अधिक सकारात्मक भूमिका देता है। यह कुछ कारण हैं:
1. सामाजिक समानता:
महिला आरक्षण बिल उन्हें समाज में समानता का अधिकार प्राप्त करने में मदद करता है। यह बिना जाति, धर्म, या लिंग के आधार पर किए जाने वाले भूखमरी और विकास के कार्यों में उन्हें शामिल करने का मौका देता है.
2. विकास में योगदान:
महिलाएं समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। महिला आरक्षण उन्हें सरकारी नौकरी, शिक्षा, और प्रशासनिक पदों में अधिक अवसर प्रदान करता है, जिससे समाज का विकास होता है।
3. हिंसा और उत्पीड़न से सुरक्षा:
महिला आरक्षण कानून उन्हें विभिन्न प्रकार की उत्पीड़न, हिंसा, और उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करता है और उनके अधिकारों की सुरक्षा करता है।
4. सामाजिक बदलाव
महिला आरक्षण कानून समाज में लिंग भेदभाव के खिलाफ एक महत्वपूर्ण संदेश भेजता है और लोगों के विचारों में बदलाव लाता है।
5. नारी सशक्तिकरण:
यह कानून महिलाओं को सशक्त बनाता है और उन्हें समाज में उनके अधिकारों की सच्ची मान्यता दिलाने में मदद करता है। इन कारणों से, महिला आरक्षण बिल जरूरी है ताकि समाज में समानता, समरसता, और समृद्धि की दिशा में कदम बढ़ाया जा सके।
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