इंडिया न्यूज, नई दिल्ली।
Work Life Balance Kaise Kare In Hindi : हर एंटरप्रेन्योर चाहता है की वो सफल हो और ग्रो करे और साथ ही वो यह भी अच्छी तरह से जानता है की सफलता के लिए उसका प्रोडक्टिव और रिजल्ट ओरिएंटेड होना जरूरी है। अक्सर देखा जाता है की करियर की रेस में और आगे निकलने की दौड़ में और साथ ही काम काज के बढ़ते प्रेशर, डेडलाइन आदि के चलते वर्क लाइफ बैलेंस लड़खड़ा जाता है लेकिन कुछ ही बातो को ध्यान में रखते हुए आप सफल इंटरप्रेन्योर होने के साथ ही वर्क लाइफ बैलेंस मेन्टेन कर सकते हैं। ब्यूटी एंड वैलनेस सेक्टर स्किल कॉउन्सिल की मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोनिका बहल ने साझा किये कुछ टिप्स।
सफल होना जरूरी है लेकिन सफलता के साथ यह भी जरूरी है की हम वर्क लाइफ बैलेंस रखते हुए आगे बड़े, यह बहुत आसान नही है तो बहुत मुश्किल भी नहीं है, चाहे एक एंटरप्रेन्योर के पास निवेशक हो या कितने ही साधन मौजूद हों लेकिन अगर वो मेंटली और फिजिकली फिट नहीं है और परिवार के साथ थोड़ा भी समय नहीं बिता पाता है तो उसकी सफलता की चमक फीकी सी दिखती है और हम बहुत लम्बे समय तक सफल रहे इस पर भी प्रश्नचिन्ह लग जाता है।
अधिक काम के चलते काम के घंटों में बढ़ोतरी करना, कम सोना यहां तक कि कई बार हम अपने खाने को भी छोड़ देते हैं। इसके अतितिक्त हम यह भूल जाते हैं कि छोटे समय के लिए मिलने वाली खुशी, टारगेट पूरा करने के चलते हम अपना ख्याल रखना भी भूल जाते हैं और अपनी सेहत की परवाह न करते हुए सिर्फ अपने बिजनेस या फिर काम के बारे में ही सोचते रहते हैं, इस सबका स्वास्थय के अतिरिक्त वर्क लाइफ पर भी विपरीत प्रभाव ही डालता है।
जरूरत है सचेत होकर अपने स्वास्थय को प्राथमिकता देने की। कुछ ऐसे पहलू हैं जिन पर आप रोजाना ध्यान देंगे तो बड़ी परेशानियों से छुटकारा आसानी से पाया जा सकता है। सेहत को अपनी सबसे बड़ी संपत्ति मानें। सही मायनों में अगर आप अपने स्वास्थ्य की देखभाल करना चाहते हैं तो इन सुझावों का पालन करें।
पहली और सबसे जरूरी चीज बैलेंस को समझना है। माना कि आप काम करके खुश रहते हैं लेकिन मानसिक और शारारिक तौर से आप तभी खुश रह पाएंगे जब अपनी हाबीस और अपनी कुछ पसंदीदा आदतों के लिए भी समय निकलेंगे।
जरूरी नहीं है की आप हर वक्त अपने काम करने की आदत को रोज की दिनचर्या का हिस्सा बनाये बल्कि बदलाव के लिए आप कुछ और भी कर सकते हैं जो आपको पसंद हो और वह कुछ भी हो सकता है। बेकिंग, तैराकी, संगीत, दौड या टहलना आदि। यह ऐसा हो जो एक्टिव और खुश रखने में मददगार हो।
कामों को करना ही नहीं, अपने कामों को किस तरह प्राथमिकता देनी चाहिए। यह भी महत्वपूर्ण है। वह चाहे प्रोफेश्नल हो या पर्सनल। ईट दैट फ्रॉग का अर्थ है कि पहले वह काम करें जो आपको लगता है कि मुश्किल है। इससे आप तनावमुक्त हो जाएंगे।
ध्यान दें कि प्राथमिकता के संदर्भ में कामों की लिस्ट बनाएं और इसका पालन करें। एक और बात जो आपको समझनी है कि एक इंटरप्रेन्योर के तौर पर आप हर जगह मौजूद नहीं हो सकते। अपने कामों को कर्मचारियों के साथ बांटना सीखें, ताकि आप पर एक प्रेशर न रहे।
हम सभी लोग एक स्वच्छ और स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं। वह भोजन जो हम ग्रहण करते हैं उसका असर हमारे कामों व गतिविधयों पर पड़ता है। कुछ खास खाने हमारे सोचने और समझने की क्रिया पर प्रभाव डालते हैं। खाना साफ-सुथरा खाएं। यह न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है बल्कि दिमाग को भी तेज करता है। साथ ही यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। इसका सकारात्मक प्रभाव शरीर, त्वचा व दिमाग पर नजर आता है।
आप महसूस करेंगे कि अगर आप थोड़ा-थोड़ा भी अपना ध्यान रखेंगे तो हताष नहीं होंगे।अगर आप वर्कलाइफ बैलेंस चाहते हैं तो अपने कामों को प्राथमिकता दें, स्वस्थ रहें, अपने शौक में मशगूल रहें। हां इन सभी के बीच काम से ब्रेक लेना और अपनी मुस्कुराहट बिखेरना भी जरूरी है।
–मोनिका बहल, (सीईओ ), मुख्य कार्यकारी अधिकारी, ब्यूटी एंड वैलनेस सेक्टर स्किल काउंसिल
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