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World Autism Awareness Day : आटिज्म मतलब मानसिक विकार, भूलने की बीमारी, जानिए क्यों मनाया जाता है दिवस

Vir Singh • LAST UPDATED : April 2, 2022, 8:04 am IST

World Autism Awareness Day

इंडिया न्यूज नई दिल्ली:

World Autism Awareness Day : आज विश्व आटिज्म जागरूकता दिवस है। संयुक्त राष्ट्र संघ के फैसले के बाद दुनियाभर में हर वर्ष यह दिवस दो अप्रैल को मनाया जाता है। आटिज्म (autism) एक मानसिक विकार (mental disorder) होता है, जिसमें लोगों को भूलने की बीमारी होती है। संयुक्त राष्ट्र ने 2007 में विश्व आटिज्म जागरूकता (awareness) दिवस 2007 में घोषणा की थी। तब से हर वर्ष दो अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र (united nations) द्वारा स्वास्थ्य संबंधी मनाए जाने वाले चार दिवसों में से एक यह दिवस मनाया जा रहा है। नीला रंग आटिज्म का प्रतीक माना गया है।

उद्देश्य : इस रोग के प्रति लोगों को जागरूक करना

विश्व आटिज्म जागरूकता दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को आटिज्म बीमारी के प्रति जागरूक करना है। इस अवसर पर आॅटिज्म से ग्रस्त बच्चों तथा बड़ों के जीवन में सुधार हेतु कदम उठाना और उन्हें सार्थक जीवन व्यतीत करने में मदद करने के लिए जागरूक करने हेतु दुनियाभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

इस दिन ऐसे रोगियों को सार्थक जीवन बिताने में सहायता दी जाती है। संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को आटिज्म से लड़ने तथा इसका निदान करने के लिए इस मौके पर प्रोत्साहित किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ का यह प्रयास सराहनीय है और इससे आटिज्म को जड़ से खत्म किया जा सकता है।

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बीमारी की चपेट में आने से सिकुड़ने लगता है बच्चे का मानसिक संतुलन : एक्सपर्ट्स

विशेषज्ञों का कहना है कि जो बच्चा एक बार आटिज्म की चपेट में आ जाता है उसका मानसिक संतुलन संकुचित (सिकुड़ना) हो जाता है। इस कारण बच्चा परिवार व समाज से दूर रहने लगता है। विशेषज्ञों के अनुसार आटिज्म आटिस्टिक डिसआॅर्डर, एस्पर्गर सिंड्रोम और परवेसिव डेवलपमेंटल डिसआॅर्डर तीन प्रकार के होते हैं।

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किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है बीमारी, पुरुष ज्यादा चपेट में आते हैं

विषेशज्ञों का कहना है कि आटिज्म के विकार को दूर किया जा सकता है। माता-पिता के साथ ही सभी लोगों को इसके लिए जागरूक होने की जरूरत है। यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। हालांकि, महिलाओं की तुलना में पुरुषों को आॅटिज्म रोग ज्यादा होता है। इसके अलावा, बच्चे भी आॅटिज्म के ज्यादा शिकार होते हैं।

नोट : हमारी तरफ से इस खबर के बारे में सलाह हमारे सामान्य ज्ञान के लिए है। इन्हें किसी व्यक्ति को चिकित्सक या मेडिकल प्रोफेशनल के सुझाव के तौर पर नहीं लेना चाहिए। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में व्यक्ति को डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

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