शीर्ष 10 फीसदी आबादी के पास राष्ट्रीय आय का 57 फीसदी हिस्सा
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
World Inequality Report विश्व असमानता रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया के सर्वाधिक असमानता वाले देशों की सूची में शामिल हो गया है। दुनिया के 100 जाने-माने अर्थशास्त्रियों ने देशों की आर्थिक असमानता का अध्ययन कर यह रिपोर्ट तैयार की है। इसके अुनसार भारत ऐसा गरीब और बहुत असमानता वाला देश है, जहां अधिक संख्या में अमीर लोग रहते हैं। रिपोर्ट संकेत देती है कि देश में एक तरफ गरीब बढ़ रहे हैं, वहीं अभिजात्य वर्ग अधिक समृद्ध हो रहा है।
इसके मुताबिक देश की शीर्ष 10 फीसदी आबादी के पास राष्ट्रीय आमदनी का 57 फीसदी हिस्सा है, जबकि 50 फीसदी निचले तबके के पास सिर्फ 13 फीसदी हिस्सा है। संपत्ति के नाम पर उनके पास कुछ भी नहीं है। उनकी औसत संपत्ति 66,280 रुपए है, जो कुल संपत्ति का महज 6 फीसदी है। भारत का आंकड़ा दुनिया की न्यूनतम आय में से एक है। विश्व असमानता रिपोर्ट 2022′ शीर्षक वाली रिपोर्ट के लेखक लुकास चांसल हैं जोक ‘वर्ल्ड इनइक्यूलैटी लैब’ के सह-निदेशक हैं।
काफी निचले स्तर पहुंची देश की ग्लोबल इनकम (World Inequality Report)
वर्ष 2021 पर आधारित इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि साल 2020 में देश की ग्लोबल इनकम भी काफी निचले स्तर पर पहुंच गई है। मध्यम वर्ग भी इसी तरह गरीब है। उसके पास औसत संपत्ति 7,23,930 रुपए है। यह कुल संपत्ति का 29.5 फीसदी है। शीर्ष 10 फीसदी लोगों के पास 63,54,070 रुपए संपत्ति है, जो कुल संपत्ति की 65 फीसदी है। वहीं एक फीसदी के पास 3,24,49,360 रुपए संपत्ति है। यह कुल संपत्ति का 33 फीसदी है।
वयस्कों की सालाना औसत राष्ट्रीय आय 2,04,200 रुपए (World Inequality Report)
वयस्कों के मामले में रिपोर्ट में कहा गया कि देश में इस श्रेणी की सालाना औसत राष्ट्रीय आय 2,04,200 रुपए है। देश के 50 फीसदी लोग महज 53,610 रुपए सालाना कमा पाते हैं। शीर्ष 10 फीसदी इनसे 20 गुना से अधिक यानी 11,66,520 रुपए कमाते हैं। शीर्ष 10 फीसदी अमीरों की आय देश की कुल आय की 57 फीसदी है, जबकि शीर्ष 1 फीसदी अमीरों की देश की कुल कमाई में 22 फीसदी हिस्सेदारी है। इस साल निचले तबके के 50 फीसदी लोगों की कमाई 13 फीसदी घटी है।
देश की आधी जनसंख्या की प्रॉपर्टी शून्य (World Inequality Report)
रिपोर्ट के अनुसार अंग्रेजों के राज में 1858 से 1947 के बीच भारत में असमानता ज्यादा थी। उस समय 10 फीसदी लोगों का 50 फीसदी आमदनी पर कब्जा था।
आजादी के बाद पंचवर्षीय योजनाएं शुरू हुईं तो आंकड़ा घटकर 35 फीसदी 40 फीसदी पर आ गया। विनियमन में ढील और उदारीकरण नीतियों से भी अमीरों की आय बढ़ी। वहीं, आर्थिक उदारीकरण से शीर्ष एक फीसदी को सबसे अधिक फायदा हुआ, जबकि निम्न और मध्यम वर्ग की दशा में सुधार की गति बेहद धीमी रही। इसके चलते गरीबी बनी रही। भारत में औसत घरेलू संपत्ति 9,83,010 रुपए के बराबर है।
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