India News (इंडिया न्यूज), Yasin Malik: जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट-यासीन के अध्यक्ष यासीन मलिक ने दावा किया है कि उन्होंने हथियारों के जरिए विरोध का तरीका छोड़कर गांधीवादी तरीके से विरोध का रास्ता अपनाया है। यह बात उन्होंने जेकेएलएफ-वाई पर प्रतिबंध की समीक्षा करने वाली यूएपीए अदालत में पेश अपने हलफनामे में कही। जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट-यासीन (जेकेएलएफ-वाई) के अध्यक्ष यासीन मलिक ने कहा कि जेकेएलएफ-वाई ने संयुक्त स्वतंत्र कश्मीर की स्थापना के उद्देश्य को हासिल करने के लिए 1994 में सशस्त्र संघर्ष छोड़ दिया था। अब उन्होंने गांधीवादी प्रतिरोध का तरीका अपना लिया है।
बता दें कि, पिछले महीने यूएपीए अदालत द्वारा जारी आदेश में यासीन मलिक के हलफनामे का उल्लेख किया गया था। इसे गुरुवार (4 अक्टूबर) को प्रकाशित भी किया गया। इसने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत अगले पांच वर्षों के लिए जेकेएलएफ-वाई को गैरकानूनी संगठन घोषित करने के फैसले को बरकरार रखा। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यासीन मलिक ने अपने हलफनामे में दावा किया है कि अलगाववादियों द्वारा उठाए गए कश्मीर मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान की तलाश में केंद्र के राजनीतिक और सरकारी अधिकारी 1994 से उसके साथ जुड़े हुए हैं।
दरअसल, यासीन मलिक 1990 में श्रीनगर पुलिस का सदस्य था। वह रावलपोरा इलाके में भारतीय वायुसेना के चार जवानों की हत्या का मुख्य आरोपी है। इस मामले में उसकी पहचान मुख्य शूटर के रूप में हुई थी। यासीन मलिक को आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में मई 2022 में आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई गई थी। वहीं इस दौरान उसने दावा किया कि 90 के दशक में विभिन्न सरकारी अधिकारियों ने उसे आश्वासन दिया था कि वे बातचीत के जरिए इस विवाद को सुलझा लेंगे। इसके अलावा जब वह एकतरफा युद्धविराम शुरू करेगा, तो उसके और जेकेएलएफ-वाई सदस्यों के खिलाफ सभी मामले वापस ले लिए जाएंगे।
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