India News ( इंडिया न्यूज़ ),Balasore Train Accident: ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे ने एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा की पोल खोल दी है। रेल हादसे में सैकड़ों परिवार तबाह हो गये। किसी ने अपना बेटा खोया, किसी ने अपना पति खोया, तो किसी ने अपना भाई खोया। तबाही वाली जगह पर मुर्दाघर में अपने बेटे की तलाश कर रहे एक पिता का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह दुर्घटनास्थल के हर इलाके में जाकर अपने बेटे को ढूंढते नजर आ रहे थे। वह काफी निराश और निराश था। लगभग हर परिवार या व्यक्ति, जिसका कोई प्रियजन ट्रेन से यात्रा करता था, दुर्घटना का शिकार हो गया, उसकी यही कहानी थी। 1995 में फ़िरोज़ाबाद ट्रेन दुर्घटना के बाद बालासोर ट्रेन दुर्घटना भारत की सबसे घातक रेल दुर्घटना थी, हालाँकि 1999 में गैसोलीन ट्रेन टक्कर में अधिक लोग मारे गए थे।

विगत महीने में हुई हादसा

घटना 2 जून 2023 की शाम की है। ओडिशा के बालासोर जिले में तीन ट्रेनें आपस में टकरा गईं। कोरोमंडल एक्सप्रेस पूरी रफ्तार से दौड़ रही थी। वह बहनागा बाजार रेलवे स्टेशन के पास मुख्य लाइन के बजाय पासिंग लूप में घुस गई और खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। इस ट्रेन ने पश्चिम बंगाल में हावड़ा के पास शालीमार से अपनी यात्रा शुरू की थी और इसे चेन्नई के एमजीआर चेन्नई सेंट्रल स्टेशन तक पहुंचना था, लेकिन ब्रह्मंगा रेलवे स्टेशन के बाद यह दुखद हादसा हो गया और यात्रा बीच में ही रोक दी गई।

हादसे सैकड़ों लोगो की हुई मौत

कोरोमंडल एक्सप्रेस की तेज गति के कारण ट्रेन के 21 डिब्बे पटरी से उतर गए और उनमें से तीन डिब्बे बगल की पटरी पर आ रही एसएमवीटी बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस से टकरा गए। 2864 बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस एसएमवीटी बेंगलुरु, कर्नाटक से निकल रही थी और विपरीत दिशा में निकटवर्ती डाउन मुख्य लाइन पर हावड़ा जा रही थी। इस दुर्घटना में कुल 296 लोग मारे गए और 1,200 से अधिक अन्य घायल हो गए।

कोरोमंडल एक्सप्रेस को अप मुख्य लाइन पर सीधी दौड़ना था, लेकिन गलती से उसे पूरी गति से समानांतर अप लूप लाइन पर ले जाया गया, जहां वह लौह अयस्क से लदी एक मालगाड़ी से टकरा गई। टक्कर की गति तेज होने के कारण ट्रेन के 21 डिब्बे मुख्य लाइन से पटरी से उतर गये। मालगाड़ी न तो पटरी से उतरी और न ही आगे बढ़ी। कोरोमंडल एक्सप्रेस के तीन पटरी से उतरे डिब्बे बगल की पटरी पर गिर गए और उसी समय स्टेशन पार कर रही बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस के पिछले हिस्से से टकरा गए।

इस घटना में कोरोमंडल एक्सप्रेस के इंजन, पार्सल वैन और दो जनरल कोच सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। दो यात्री ट्रेनों में, सबसे अधिक क्षतिग्रस्त डिब्बे गैर-वातानुकूलित डिब्बे थे, जिनमें से कुछ अनारक्षित डिब्बे थे, जिनमें अक्सर सबसे अधिक भीड़ होती है। चूंकि ट्रेन बंगाल से निकली थी और ओडिशा होते हुए जा रही थी। इस कारण इस ट्रेन में सबसे ज्यादा यात्री बंगाल और ओडिशा के थे और मौतें भी सबसे ज्यादा उन्हीं की हुईं। हालांकि, इस हादसे में कोरोमंडल एक्सप्रेस के ड्राइवर और असिस्टेंट ड्राइवर दोनों बच गए।

रेलवे ने मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 2 लाख रुपये और मामूली चोटों वाले लोगों को 50,000 रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है। इसके अलावा मृतकों के परिवारों को पीएमएनआरएफ से 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये का अनुग्रह मुआवजा दिया गया। संबंधित राज्य सरकार की ओर से आर्थिक मुआवजा भी दिया गया।

टक्कररोधी उपकरण न लगे होने से हुई हादसा

हादसे के बाद बचाव कार्य के लिए रेल मंत्री अश्विन वैष्णव लगातार दुर्घटनास्थल पर बने रहे और उनकी देखरेख में बचाव और राहत कार्य किया गया। बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दुर्घटनास्थल का दौरा किया। बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से लेकर नवीन पटनायक तक ने घटना स्थल का दौरा किया।

रेलवे ने पूरे मामले की जांच की और पाया कि जिस ट्रैक पर टक्कर हुई, वहां टक्कर-रोधी उपकरण तैनात नहीं थे, जबकि दुर्घटना से पहले छह महीने में दो बार उसे टक्कर-रोधी सिग्नलिंग प्रणाली गायब होने के बारे में चेतावनी दी गई थी। बाद में 7 जुलाई 2023 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने ट्रेन दुर्घटना से संबंधित मामले में महत्वपूर्ण प्रगति की घोषणा की। सीबीआई ने हादसों के लिए जिम्मेदार माने गए तीन रेलवे अधिकारियों को गिरफ्तार किया है।

सीबीआई के बयान में उनकी पहचान भारतीय रेलवे में काम करने वाले एक तकनीशियन और दो सिग्नल इंजीनियरों के रूप में की गई है। उनके खिलाफ दर्ज मामले में गैर इरादतन हत्या और सबूत मिटाने का आरोप लगाया गया था। फिलहाल मामला कोर्ट में विचाराधीन है।

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