होम / कारगिल युद्ध के दरम्यान ही तवांग कब्जाना चाहता था ड्रैगन, विस्तारवादी नीति के मद्देनजर पिछले 8 सालों में कई मर्तबा भारत को उकसाया

कारगिल युद्ध के दरम्यान ही तवांग कब्जाना चाहता था ड्रैगन, विस्तारवादी नीति के मद्देनजर पिछले 8 सालों में कई मर्तबा भारत को उकसाया

Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : December 14, 2022, 6:04 pm IST

इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : चीनी सैनिकों को अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार करके भारतीय धरती पर घुसने का खामियाजा भुगतना पड़ा है। तवांग सेक्टर के यांगत्से इलाके में 9 दिसंबर को चीनी सैनिकों को घुसने पर भारतीय जवानों ने उन्हें पीट-पीटकर भगा दिया। दोनों ही तरफ के सैनिक इसमें घायल हुए हैं। इससे पहले अक्टूबर 2021 में भी चीनी सैनिक इसी इलाके में घुसे थे। एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन की नजर यांगत्से इलाके को कब्जाने पर है, जो अन्य इलाके से ऊंचा होने के कारण सामरिक रूप से बेहद अहम है। इस इलाके पर चीन की ‘काली नजर’ अभी से ही नहीं बल्कि करीब 2 दशक से टिकी हुई है। यह दावा पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने किया है। उनका कहना है कि 1999 में जब भारतीय सेना कारगिल की पहाड़ियों में पाकिस्तानी सेना को भगाने में जुटी हुई थी, तब भी चीन ने इस इलाके को कब्जाने की योजना पर काम किया था। हालांकि बाद में वह अचानक पीछे हट गया था।

बड़ी संख्या में सैनिक जमा कर तवांग कब्जाना चाहता था चीन

जानकारी दें, जनरल वीपी मलिक कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना की कमान संभाल रहे थे। साल 1997 से 2000 तक इंडियन आर्मी चीफ रहे जनरल मलिक ने बीबीसी के साथ बातचीत में चीन की नापाक योजना का ब्योरा दिया। उन्होंने बताया कि युद्ध के दौरान जब भारतीय सेना का पूरा ध्यान और ताकत कारगिल की पहाड़ियों में लगी हुई थी, चीन ने जुलाई के महीने में यांगत्से के पास अपनी फौज बढ़ानी शुरू कर दी। चीन ने उस दौरान बड़े पैमाने पर सैनिकों को यहां तैनात किया।

भारत को भी तैनात करनी पड़ी थी सेना

जनरल मलिक के मुताबिक, चीन की मंशा को सही नहीं मानते हुए भारत को भी अपने जवानों का जमावड़ा यांगत्से इलाके में बढ़ाना पड़ा था। चीन की सेना सितंबर महीने के अंत तक यांगत्से के करीब ही डटी रही, लेकिन उस दौरान दोनों सेनाओं में कोई झड़प नहीं हुई। करीब तीन महीने बाद चीन अचानक पीछे हट गया।

पिछले 8 साल में कई दफा भिड़े भारत और चीनी सैनिक

अप्रैल-मई 2013 देपसांग स्टैंडऑफ

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों ने राकी नौला में कैंप लगाया, जो अक्साई चिन इलाके के करीब है। भारतीय जवानों ने भी उनसे महज 300 मीटर दूरी पर कैंप लगा दिया। दोनों तरफ तनाव पैदा हो गया। इस पर चीन ने इलाके में ज्यादा फौज और रसद भेजना शुरू कर दिया, जिससे एक बार युद्ध का माहौल बनता दिखाई दिया। हालांकि 3 सप्ताह की बातचीत के बाद दोनों ही पक्ष पीछे हट गए।

सितंबर 2014 देमचॉक स्टैंडऑफ

भारत की तरफ से LAC के करीब देमचॉक सेक्टर में ग्रामीणों के लिए 100 फुट लंबा वाटर चैनल बनाना शुरू किया गया। इस पर चीन ने ऐतराज जताया और सेना तैनात कर दी। भारतीय जवान भी सामने डट गए। यह स्टैंडऑफ भी करीब 3 सप्ताह बाद आपसी वार्ता से खत्म कर लिया गया।

सितंबर 2014 चुमार स्टैंडऑफ

देमचॉक में दोनों सेनाओं के आमने-सामने आने के दौरान ही पूर्वी लद्दाख में भी तब तनाव बन गया, जब चुमार सेक्टर में चीन ने सड़क बनाने के लिए अपने मजदूर भेज दिए। इस सड़क का करीब 5 किलोमीटर का हिस्सा भारतीय इलाके में था। भारत ने ऐतराज जताया और सेना भेजकर काम रुकवा दिया। दोनों सेनाएं करीब 16 दिन तक आमने-सामने डटी रहीं।

सितंबर, 2015, बुर्त्से क्लैश

चीनी सैनिकों ने उत्तरी लद्दाख के बुर्त्से इलाके में मेकशिफ्ट हट्स बनाना शुरू कर दिया। इन हट्स को भारत तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ITBP) और भारतीय सेना (Indian Army) की जॉइंट टीम ने तोड़ दिया और चीनी सैनिकों को वापस भेज दिया।

जून 2017, डोकलाम स्टैंडऑफ

सिक्किम में चिकन नेक कहे जाने वाले इलाके के करीब चीन ने सड़क बनाना शुरू कर दिया। यह सड़क डोकलाम रीजन में ऐसी जगह बन रही थी, जिस पर चीन और भूटान दोनों दावा करते हैं। भारत ने भूटान की तरफ से अपने 270 जवान इस विवादित एरिया में तैनात कर दिए। इसके चलते भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने डट गईं। यह स्टैंडऑफ करीब 73 दिन बाद तब खत्म हुआ, जब सड़क निर्माण बंद कर दिया गया और दोनों सेनाएं पीछे हट गईं।

अगस्त 2018, देमचॉक स्टैंडऑफ

चीनी सेना पूर्वी लद्दाख के देमचॉक सेक्टर में भारतीय इलाकों के अंदर करीब 400 मीटर तक घुस गई और अपने कैंप लगा दिए। चीन ने यह कदम लद्दाख के नेरलॉन्ग एरिया में एक भारत की तरफ से एक सड़क का निर्माण करने के विरोध में उठाया।

मई 2020 गलवान

चीन की सेना ने 5 मई, 2020 से पूरी भारत-चीन सीमा पर भारतीय जवानों के साथ झड़प स्टैंडऑफ, आक्रामक गाली गलौच, हाथापाई जैसे काम शुरू कर दिए। यह काम पैंगोंग लेक के विवादित इलाके से लेकर सिक्किम तक हर जगह किए गए। इसी दौरान गलवान घाटी में हिंसक संघर्ष भी हुआ, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हुए। चीन ने अब तक अपने सैनिकों की मौत का आंकड़ा जारी नहीं किया है, लेकिन सूत्रों ने करीब 43 चीनी सैनिक मारे जाने की बात कही थी। चीन की यह आक्रामक कार्रवाई करीब ढाई साल बाद अब भी जारी है और तवांग सेक्टर में ताजा झड़प भी उसी का हिस्सा है।

Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.