विदेश

बच्चों पर कहर बनकर टूटा 2024, केवल गाजा में 17, 492 बच्चों की निकली चींखें, पूरी दुनिया में मासूमों की हालत देख मुंह को आ जाएगा कलेजा

India News (इंडिया न्यूज), Unicef Report On Childrens : इस वक्त विश्व में कहीं युद्ध चल रहा है, तो कहीं पर संघर्ष चल रहा है। इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ा है। इस कड़ी में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की एक रिपोर्ट ने सभी को हिला कर रख दिया है। शनिवार को जारी की गई इस रिपोर्ट में फलस्तीन, म्यांमार, हैती और सूडान जैसे देशों में जारी संघर्षों पर ध्यान दिलाया गया। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में लगभग 47.3 करोड़ बच्चे यानी हर छह में से एक बच्चा संघर्ष या युद्ध ग्रस्त क्षेत्रों में रह रहा है। यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी दुनिया द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे अधिक संघर्षों का सामना कर रही है।

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रिपोर्ट में क्या कुछ बताया गया?

यूनिसेफ की लेटेस्ट रिपोर्ट की माने तो दुनिया के 19 फीसदी बच्चे संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में रह रहे हैं और 4.72 करोड़ बच्चों को हिंसा और युद्ध की वजह से अपने घर को छोड़ना पड़ा हैं। रिपोर्ट में इस बात का भी दावा किया गया है कि 2024 के पहले नौ महीनों में बच्चों की मौत और चोटों की संख्या 2023 के पूरे साल से अधिक है। इस साल गाजा और यूक्रेन में संघर्षों में हजारों बच्चों की जान गई है या वे घायल हुए हैं।

17, 492 मासूमों की गई जान

बीते 15 महीनों से इजरायल, हमास और हिजबुल्लाह के बीच जारी संघर्ष में अभी तक कम से कम 17,492 बच्चों की मौत हुई है। इसको लेकर यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसेल ने कहा कि 2024 संघर्षों से प्रभावित बच्चों के लिए सबसे बुरे वर्षों में से एक रहा है। इस साल प्रभावित बच्चों की संख्या और उनके जीवन पर पड़े प्रभाव दोनों ही बेहद चिंताजनक हैं। कैथरीन रसेल की तरफ से बताया गया है कि संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को स्कूल से बाहर होना, कुपोषण का शिकार होना,या बार-बार घर छोड़ने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति आम नहीं बननी चाहिए और बच्चों को वैश्विक संघर्षों के शिकार होने से रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है।

कैथरीन ने आगे कहा कि 2024 यूनिसेफ के इतिहास में बच्चों के लिए संघर्ष का सबसे बुरा साल रहा है। हमें युद्धों को बच्चों की एक पूरी पीढ़ी को नुकसान पहुंचाने से रोकना होगा। बच्चों की सुरक्षा को वैश्विक प्राथमिकता बनाना चाहिए।

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Shubham Srivastava

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