India News (इंडिया न्यूज), Bangladesh Hindu Crisis Update: बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफे के बाद से हिंदुओं को अपना जीवन जीने के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ रहा है। हम आपको बतातें चलें कि, शेख हसीना के देश छोड़कर भागने के बाद सेना ने देश की कमान संभाल ली थी। इसके बाद सेना प्रमुख ने मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार नियुक्त कर दिया। या यूँ कहें कि बांग्लादेश की सरकार का प्रमुख बना दिया। इसके बाद मोहम्मद यूनुस लगातार हिंदू विरोधी फैसले ले रहे हैं। मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार बढ़ गया है। इस अत्याचार के खिलाफ हिंदुओं ने आवाज उठाई तो, 20 लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करवा दिया गया। इन लोगों पर आरोप लगाया जा रहा है कि, इन्होंने भगवा झंडा लहरा दिया था।
मोहम्मद यूनुस के बांग्लादेश में पहले हिंदुओं पर अत्याचार हुआ। अब इस आतंक का निशाना हिंदू धार्मिक नेता को बनाया जा रहा है। दरअसल पूरा मामला ये है कि, बांग्लादेश के चांदगांव में इस्कॉन मंदिर के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है। यह मामला खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी के एक नेता ने दर्ज कराया है। आरोप लगाया गया है कि, चिन्मय कृष्ण दास ने बांग्लादेशी झंडे का अपमान किया है और देशद्रोह का मामला सिर्फ चिन्मय कृष्ण दास पर ही दर्ज नहीं किया गया है, बल्कि 19 अन्य लोगों पर भी देशद्रोह का आरोप लगाया गया है।
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हम आपको बतातें चलें कि, चिन्मय कृष्ण दास पर देशद्रोह का मामला दर्ज होने के बाद बांग्लादेश के हिंदू न सिर्फ सड़कों पर हैं, बल्कि बांग्लादेश के कट्टरपंथी गिरोहों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार भी हैं। जिस बांग्लादेश में कुछ दिन पहले तक हिंदू व्यापारियों से जजिया जैसा टैक्स मांगा जाता था। हिंदुओं की संपत्ति जब्त की जा रही थी। आज उसी बांग्लादेश की सड़कों पर जय श्री राम और हर हर महादेव के नारे लग रहे हैं। धार्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास को झूठे मामले में फंसाए जाने के विरोध में हिंदू समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए हैं।
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धार्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने के बाद हिन्दुओं का गुस्सा फूट गया है। लगातार हिंदुओं द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इस विरोध प्रदर्शन में पुरुष, महिला, बच्चे और युवा सभी बढ़ चढ़कर भाग ले रहे हैं। वे महंत चिन्मय कृष्ण दास जैसा ही वेश धारण करके पहुंचे हैं। ये सभी ये संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि इस मुश्किल घड़ी में वे अपने धार्मिक नेता के साथ खड़े हैं।
बताया जा रहा है कि, 5 अगस्त को शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से ही चिन्मय कृष्ण दास लगातार हिंदू समुदाय की आवाज मुखर होकर उठा रहे हैं। इन्होंने हीं सबसे पहले बांग्लादेश के संतों को एकजुट किया था। उन्होंने धर्म संसद का आयोजन किया था। तब से चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेशी हिंदुओं के हितों के लिए आवाज उठा रहे हैं। चिन्मय कृष्ण जैसे संतों के प्रयासों का ही नतीजा था कि बांग्लादेश में भी हिंदू एकजुट होने लगे। इस एकता की पहली बड़ी तस्वीर चटगांव से आई। जब 17 अक्टूबर को हजारों हिंदुओं ने इकट्ठा होकर अपने अधिकारों की मांग की और अब चिन्मय कृष्ण दास के खिलाफ दर्ज मामले के खिलाफ हिंदू एकजुट हो रहे हैं।
करीब एक महीने पहले एक बैठक के दौरान चिन्मय कृष्ण दास ने कहा था कि बांग्लादेश के हिंदुओं का अस्तित्व तभी बच सकता है। जब बांग्लादेशी हिंदू एकजुट होकर खड़े होंगे। जुल्म का कड़ा जवाब देंगे। आज बांग्लादेश के हिंदू चिन्मय कृष्ण दास के इसी मंत्र के साथ आगे बढ़ रहे हैं ताकि 1971 जैसी स्थिति फिर न आए। बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई के दौरान पाकिस्तानी सेना और रजाकारों ने हिंदुओं को निशाना बनाया था। अब मोहम्मद यूनुस की कट्टरपंथी व्यवस्था भी यही करने की कोशिश कर रही है।
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