India News (इंडिया न्यूज),Burkina faso:रविवार की सुबह अफ्रीकी देश उत्तरी बुर्किना फासो में भीषण आतंकी हमला हुआ जिसमें 100 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। इस हमले ने संकटग्रस्त देश में एक बार फिर भय का माहौल पैदा कर दिया है। मारे गए लोगों में ज्यादातर सैनिक थे, साथ ही कुछ स्थानीय नागरिक और एक सहायताकर्मी भी थे। यह हमला रणनीतिक शहर जिबो और उसके आसपास के सैन्य ठिकानों पर किया गया। जिबो लंबे समय से आतंक से घिरा हुआ है और चरमपंथी समूह यहां हमले करते रहते हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, सुबह करीब 6 बजे एक साथ कई जगहों पर हमला शुरू हुआ।
हमले की जिम्मेदारी अलकायदा से जुड़े जिहादी समूह जमात नस्र अल-इस्लाम वाल-मुस्लिमीन (जेएनआईएम) ने ली है। यह समूह अफ्रीका के साहेल क्षेत्र का कुख्यात संगठन है। सेना के साथ घंटों तक चली लड़ाई रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमलावरों ने बुर्किना फासो की वायुसेना को जवाब देने का मौका भी नहीं दिया। इलाके में बतौर सहायताकर्मी काम करने वाले चार्ली वर्ब ने बताया कि हमलावरों ने जीबोन में आतंकवाद निरोधक विशेष इकाई के शिविर पर हमला करने से पहले शहर में प्रवेश के सभी रास्तों पर कब्जा कर लिया था।
बुर्किना फासो में जिहादियों का खूनी खेल
सौफान सेंटर के वरिष्ठ शोधकर्ता वसीम नस्र ने कहा कि यह हमला इस बात का संकेत है कि जेएनआईएम अब बुर्किना फासो के अंदर कहीं भी आसानी से और स्वतंत्र रूप से आतंक फैला सकता है।
फिलहाल बुर्किना फासो पर इब्राहिम ट्रोरे के नेतृत्व वाली सैन्य जुंटा का शासन है। देश में सुरक्षा की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि अब देश का लगभग आधा हिस्सा सरकार के नियंत्रण में नहीं है। जिसके बाद सैन्य रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं, जिससे जुंटा सरकार पर जनता का भरोसा कम हो सकता है।
तख्तापलट के बाद बुर्किना फासो में शासक और राष्ट्रपति के तौर पर शासन कर रहे 36 वर्षीय जनरल इब्राहिम ट्रोरे ने अपने शासन के दौरान देश में कई बदलाव किए हैं। इब्राहीम ने देश को फ्रांस और अमेरिका के प्रभाव से मुक्त कराकर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया है, लेकिन देश में स्थापित हो चुके आतंकवादी समूह उनके मिशन में बाधा बन रहे हैं।
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