India News (इंडिया न्यूज), Bektashi Microstate in Tirana: दुनिया में इस समय कई देशों के बीट युद्ध जैसे माहौल बना हुआ है तो वहीं दुसरी तरफ अल्बानिया अपनी सीमाओं के अंदर एक संप्रभु मुस्लिम माइक्रोस्टेट स्थापित करने की तैयारी कर रहा है। जिसको लेकर वहां के प्रधानमंत्री एडी रामा ने इसकी घोषणा करते हुए कहा है कि, इस माइक्रोस्टेट को सूफी संप्रदाय द्वारा चलाया जाएगा, जिसे “धार्मिक सद्भाव और संवाद” को बढ़ावा देने के लिए जाना जाएगा। राजधानी तिराना के अंदर छोटा वेटिकन जैसे ही एन्क्लेव बेक्ताशी मुसलमानों के लिए राजनीतिक घर की तरह इसपर काम करेगा। जानकारी के लिए बता दें कि, बेक्ताशी अल्बानिया के सुन्नी मुसलमानों, रूढ़िवादी ईसाइयों और कैथोलिकों के बाद यह चौथा सबसे बड़ा धार्मिक समुदाय माना जाता है, तो चलिए आज हम आपको संप्रभु मुस्लिम माइक्रोस्टेट के बारे में विस्तार से बताते हैं।

कौन हैं बेक्ताशी मुसलमान?

बेक्ताशी मुसलमानों की स्थापना की बात करें तो इसकी शुरुआत 13वीं शताब्दी में ओटोमन साम्राज्य में हुई थी और उन्हें इस्लाम की एक सहिष्णु, रहस्यवादी शाखा माना जाता है जो अन्य धर्मों और दर्शन के लिए खुला है। आधुनिक तुर्की के संस्थापक मुस्तफा केमल अतातुर्क द्वारा 20वीं शताब्दी की शुरुआत में तुर्की में इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद इसके कुछ सबसे महत्वपूर्ण नेता अल्बानिया चले गए। तब से, बेक्ताशी मुसलमानों की सबसे बड़ी आबादी अल्बानिया में रहती है।

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क्या है इसका महत्व?

इसको लेकर रविवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में रामा ने कहा कि, हमारी प्रेरणा तिराना में बेक्ताशी वर्ल्ड सेंटर को एक संप्रभु राज्य, संयम, सहिष्णुता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के एक नए केंद्र में बदलने का समर्थन करना है।  अल्बानिया की 2023 की जनगणना के अनुसार, बेक्ताशी देश की मुस्लिम आबादी का अनुमानित 10 प्रतिशत हिस्सा है।

बेक्ताशी मुसलमान से क्या होगा खास?

बेक्ताशी मुसलमानों का संप्रभु देश करीब 10 हेक्टेयर में फैला होगा। इस एन्क्लेव का अपना पासपोर्ट, सीमा होगी और यह स्थानीय प्रशासन के अधीन काम करेगा। हालांकि, सेना बनाए रखने और दूसरे देशों से संबंधों में इसे अल्बानिया के कानूनों का पालन करना होगा। बेक्ताशी मुसलमानों का एन्क्लेव अल्बानिया की संसद से अलग काम करेगा और कई कानूनों से भी मुक्त रहेगा। इस एन्क्लेव में रहने वाले मुसलमानों को शराब पीने और अपनी पसंद के कपड़े पहनने की भी आजादी होगी। लोग दूसरे धर्मों की चीजों को भी अपना सकेंगे और उन्हें अपने जीवन में लागू कर सकेंगे।

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