इंडिया न्यूज, वाशिंगटन (America And China Relation): अमेरिका और चीन के बीच टकराव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। वीरवार को दोनों देश के प्रमुखों के बीच 2 घंटे 17 मिनट तक वर्चुअली मीटिंग हुई। इस दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन फेस-टू-फेस मिलने के लिए सहमत भी हो गए।
बाइडेन के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद दोनों नेताओं की ये पहली व्यक्तिगत बैठक होगी। हालांकि बैठक कब और कहां होगी, इस बारे में फिलहाल जानकारी नहीं दी गई है। लेकिन बताया गया है कि वर्चुअली मीटिंग में ताइवान के मामले में चीन ने अग्रेसिव रुख अख्तिार किया है। जिनपिंग ने कहा- मैं आपसे सिर्फ इतना कहूंगा कि जो लोग आग से खेलने की कोशिश करते हैं, वो जल जाते हैं। शी जिनपिंग की इस बात से ये स्पष्ट है कि अमेरिका और बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन ताइवान की मदद न करे।
बता दें कि अगले हफ्ते अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान के दौरे पर जा रही हैं। 25 साल के लम्बे अंतराल के बाद अमेरिका का कोई बड़ा नेता ताइवान जा रहा है। इससे चीन के लिए रेड संकेत मिलते हैं कि अमेरिका अब ताइवान की हर लेवल पर मदद करेगा और उसे अकेले नहीं छोड़ेगा। यही बात चीन को नामंजूर है। इसी कारण दोनों देश् चीन और अमेरिका में टकराव बढ़ता जा रहा है।
वहीं अमेरिका ने भी साफ कर दिया है कि वो किसी सूरत में कदम पीछे नहीं खींचेगा। कुछ समय पहले बाइडेन ने चीन के खिलाफ मिलिट्री एक्शन लेने की चेतावनी दी थी। वीरवार को बाइडेन-जिनपिंग की मुलाकात में भी रिश्तों की यह तल्खी साफ दिखी। चीन भी आने वाले समय में अमेरिका से निपटने के लिए हथियारों के साथ डिप्लोमेटिक स्तर पर तैयारियों में जुटा हुआ है।
गौरतलब है कि बाइडेन और जिनपिंग के बीच 5 बार बातचीत हो चुकी है। मार्च में भी दोनों नेताओं ने 2 घंटे तक वर्चुअल मीटिंग की थी। उस दौरान यूक्रेन और रूस की जंग पर बातचीत हुई थी। लेकिन ट्रेड और ताइवान समेत किसी भी मुद्दे पर दोनों नेता किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके। ऐसे भी माना जा रहा है कि दोनों एक बार फिर बातचीत कर सकते हैं, लेकिन इससे पहले दोनों देशों के विदेश मंत्री बातचीत करेंगे।
जानना जरूरी है कि चीन से खतरा देखत हुए ताइवान मिलिट्री एक्सरसाइज कर रहा है। बुधवार को ताइवान मिलिट्री ने अमेरिका से खरीदी गईं मिसाइलों का टेस्ट किया। इन्हें वॉरशिप और फाइटर जेट्स पर लगाकर भी देखा गया। इसके अलावा अमेरिकी ड्रोन भी इस्तेमाल किए गए।
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के बाद से इस बात की आशंका और तेज हो गई है कि चीन ताइवान पर कभी भी हमला कर सकता है। चीनी सेना ने भी बीते साल से ताइवान के खिलाफ अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। जिसके बाद से दोनों देशों के रिश्ते और बिगड़ रहे हैं।
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