India News (इंडिया न्यूज़), Pakistan Church Attack, नई दिल्ली: संयुक्त राज्य अमेरिका ने बीते दिन बुधवार, 17 अगस्त को चिंता जताते हुए पाकिस्तान से इस्लाम की निंदा की अफवाहों की खबरों के बाद ईसाई घरों और चर्चों में भीड़ के हमलों की जांच करने का आग्रह किया। बुधवार को सैकड़ों मुस्लिम लोगों ने पूर्वी औद्योगिक शहर फैसलाबाद के बाहरी इलाके में ईसाई बहुल इलाके पर हमला बोलाऔर चर्चों को आग के हवाले कर दिया।

अमेरिका ने शांति बनाए रखने की अपील

विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हम इस बात से बेहद चिंतित हैं कि पाकिस्तान में कुरान के अपमान की रिपोर्ट के जवाब में चर्चों को निशाना बनाया गया।” इसके साथ ही उन्होंने कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका जबकि स्वतंत्र अभिव्यक्ति का समर्थन करता है। हिंसा या हिंसा की धमकी कभी भी अभिव्यक्ति का स्वीकार्य रूप नहीं है।”

पाकिस्तान में संवेदनशील मुद्दा है ईशनिंदा

वेदांत पटेल ने कहा, “हम पाकिस्तानी अधिकारियों से इन आरोपों की पूरी जांच करने और शांति बनाए रखने का आग्रह करते हैं।” ईशनिंदा पाकिस्तान में एक बेहद ही संवेदनशील मुद्दा है। जहां पर इस्लाम या फिर इस्लामी हस्तियों का अपमान करने वाले किसी भी शख्श को मौत की सजा भी दी जा सकती है। बता दें कि ईसाई विरोधी हिंसा विश्व के 5वें सबसे ज्यादा आबादी वाले देश में हाल में अशांति बनी हुई है। सोमवार को जहां एक अल्पज्ञात सीनेटर और अनवर-उल-हक काकर ने इलेक्शन कराने के लिए कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की है।

कक्कड़ को ब्लिंकर ने दी बधाई

ट्विटर पर राज्य सचिव एंटनी ब्लिंकर ने कक्कड़ को शुभकामनाएं भी दी। एंटनी ब्लिंकर ने ट्वीट कर कहा, “जैसा कि पाकिस्तान अपने संविधान और भाषण और सभा की स्वतंत्रता के अधिकारों के अनुसार स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की तैयारी कर रहा है, हम आर्थिक समृद्धि के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।”

इमरान खान के जेल जाने के बाद मुल्क में अस्थिरता

बताते चलें कि पाकिस्तान के लोकप्रिय राजनेता इमरान खान को प्रधानमंत्री के पद से हटाए जाने के साथ-साथ भ्रष्टाचार के आरोप में हाल ही में जेल जाने के बाद मुल्क में अस्थिरता की स्थिति पैदा हो गई है। उनके समर्थक जिसे उन्हें पद से हटाने की कोशिश बता रहे हैं।

वाशिंगटन ने इन दावों का किया खंडन

संयुक्त राज्य अमेरिका पर खान ने उन्हें हटाने के लिए काम करने का बड़ा आरोप लगाया है। वाशिंगटन ने इन दावों का दृढ़ता के साथ खंडन किया है। जिसमें ये साफ कहा गया है कि इसमें नीतिगत असहमति थी।

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