India News (इंडिया न्यूज), Bangladeshi Hindu Protest: बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई के चाहे जितने दावे करे, लेकिन वह इस मामले में पूरी तरह विफल रही है। बांग्लादेश में शेख हसीना ने जब से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया है। तब से वहां के हालात कुछ ठीक नहीं है। इसी वजह से बांग्लादेश में हिंदुओं को अपनी सुरक्षा के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार 5 अगस्त को गिर गई थी। इसके बाद हिंदूओं के खिलाफ हिंसा हुई। 13 सितंबर (शुक्रवार) को राजधानी ढाका और बांग्लादेश की वाणिज्यिक राजधानी चटगांव में हजारों हिंदूओं ने सड़कों पर उतरकर जमकर प्रदर्शन किया है। बारिश भी हिंदूओं की हिम्मतों को तोड़ नहीं पाई। प्रदर्शनकारी आठ सूत्रीय मांगों वाला पोस्टर लेकर प्रदर्शन करते रहे। 

हिन्दूओं पर हमला करने वालों को जल्द मिले सजा

दरअसल बांग्लादेश में हिंदू आठ सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांगें ये हैं कि हमलावरों को फास्ट ट्रैक ट्रिब्यूनल के जरिए सजा दिलाई जाए। इस प्रदर्शन में महिला और बच्चे भी नजर आ रहे हैं। प्रदर्शन से ठीक 2 दिन पूर्व मोहम्मद यूनुस ने सरकारी टेलीविजन पर कहा था कि किसी को भी धार्मिक सद्भाव को ठेस पहुंचाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। चटगांव में हिंदुओं ने अल्पसंख्यक मामलों से निपटने के लिए अलग मंत्रालय की मांग की है। उन्होंने अल्पसंख्यकों के लिए सीटें आरक्षित करने की मांग की और छात्र विरोध प्रदर्शन के नेताओं से उनके साथ बैठकर बातचीत करने की मांग की है। उन्हें कार्रवाई करने के लिए 15 दिनों का समय दिया गया है। प्रदर्शनकारियों ने मुआवजे और पुनर्वास की मांग की है। प्रदर्शनकारी हिंदूओं ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं तब तक वे वापस नहीं लौटेंगे। 

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बांग्लादेशी हिन्दूओं पर लगते हैं कई आरोप

बांग्लादेश में जब भी हिंदू अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाते हैं, तो उनपर तरह-तरह के आरोप लगा दिए जाते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि वे किसी एजेंट के तौर पर काम नहीं कर रहे हैं। चटगांव में दोपहर तीन बजे जमाल खान इलाके में महिलाओं समेत कई प्रदर्शनकारी इकठ्ठा हुए। प्रदर्शनकारी हिंदूओं ने अपने आप को बंगाली बताते हुए कभी भी इस धरती को नहीं छोड़ने का ऐलान किया। कुछ प्रदर्शनकारियों ने मीडिया की भूमिका पर नाराजगी जताई। उनका कहना था कि मुख्यधारा का मीडिया उनकी आवाज नहीं सुनता। प्रदर्शनकारियों को फ़्रांस में भी समर्थन मिला है। पेरिस स्थित मानवाधिकार संगठन ‘जस्टिस मेकर्स बांग्लादेश इन फ्रांस’ ने कहा कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों की हालिया लहर गहरी चिंता का विषय है। ये तत्काल प्रभाव से रुकना चाहिए। 

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