India News (इंडिया न्यूज), Bangladesh Hindus: बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से चल रही हिंसा और कट्टरपंथी हमलों के खिलाफ हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों ने एकजुट होकर मोर्चा खोल दिया है। हिंदू समुदाय इन हिंसक घटनाओं का मुख्य निशाना बन रहा है। जिसके चलते अब वे कट्टरपंथियों के खिलाफ खुलकर आवाज उठाने लगे हैं। वहीं अब हिंदुओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी संतों ने संभाल ली है। आइए जानते हैं बांग्लादेश में संतों ने हिंदुओं से क्या कहा है। हाल ही में बांग्लादेश में अल्पसंख्यक धार्मिक नेताओं और समुदाय के नेताओं ने एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में हिंदुओं से अपनी जनसंख्या बढ़ाने की अपील की गई। इसके बाद कट्टरपंथियों ने धार्मिक नेताओं को जान से मारने की धमकी देनी शुरू कर दी।

इस्लामिक कट्टरवाद के खिलाफ उठी आवाज

बता दें कि, इस कार्यक्रम में हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायी एकजुट होकर इस्लामिक कट्टरवाद के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। इन कट्टरपंथियों ने पहले हिंदू मंदिरों, घरों और बस्तियों को निशाना बनाया था। और अब वे धार्मिक गुरुओं को धमका रहे हैं। धार्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु ने इस आंदोलन में हिस्सा लिया और हिंदुओं से अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए बच्चे पैदा करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह न केवल अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान है, बल्कि अपनी पहचान बनाए रखने का भी एक तरीका है।

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बांग्लादेश में स्थिति गंभीर

कनाडा के सांसद चंद्र आर्य ने भी इस स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की निंदा की और 1971 के बाद से धार्मिक अल्पसंख्यकों की घटती आबादी पर भी प्रकाश डाला। हालांकि, बांग्लादेश में हिंदुओं की एकता और प्रदर्शन जारी है। सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। प्रदर्शनकारियों आरोप लगा रहे है कि सरकार और प्रशासन कट्टरपंथियों के इशारे पर काम कर रहे हैं और नफरती विचारधारा का खुलेआम प्रचार किया जा रहा है। दरअसल, बांग्लादेश में इस समय स्थिति गंभीर है और अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो आने वाले समय में यहां के लोगों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

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