India News (इंडिया न्यूज),Bangladesh:बांग्लादेश की नई सरकार के साथ भारत के रिश्ते सामान्य नहीं हो पाए हैं। भारत सरकार ने शेख हसीना को शरण दी है और बांग्लादेश की नई सरकार इस बात को पचा नहीं पा रही है। अंतरिम सरकार में शामिल लोग और उनके समर्थक शेख हसीना के कट्टर विरोधी हैं, इसलिए शेख हसीना की मदद के कारण ये लोग भारत के खिलाफ भी नजर आ रहे हैं। ऐसे में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार दिन-प्रतिदिन कुछ ऐसे फैसले ले रही है जिससे भारत की चिंता बढ़ सकती है। पहले सरकार ने हसीना सरकार में हुए एमओयू की समीक्षा करने की बात कही थी, वहीं अब बांग्लादेश पाकिस्तान के साथ अपनी नजदीकियां बढ़ा रहा है।
आईटी मंत्री नाहिद इस्लाम ने क्या कहा ?
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रसारण और आईटी मंत्री नाहिद इस्लाम ने बड़ा बयान दिया है। ढाका में पाकिस्तानी राजदूत से मुलाकात के दौरान उन्होंने कहा कि बांग्लादेश पाकिस्तान के साथ 1971 के मुक्ति संग्राम के मुद्दे को सुलझाना चाहता है और लोकतांत्रिक दक्षिण एशिया सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करना चाहता है। इससे पहले 30 अगस्त को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने मोहम्मद यूनुस से फोन पर बात की थी और दोनों देशों के लोगों की प्रगति और समृद्धि के लिए मिलकर काम करने की जरूरत पर जोर दिया था।
चीन और पाकिस्तान से बढ़ी करीबी
एक महीने पहले तक भारत का सबसे अच्छा दोस्त रहा बांग्लादेश, जिसके साथ भारत के बहुत मजबूत संबंध थे, तख्तापलट के बाद चीन और पाकिस्तान के करीब जाता दिख रहा है। हसीना सरकार के दौरान पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच संबंध बहुत अच्छे नहीं थे, खासकर तब जब शेख हसीना सरकार ने जमात-ए-इस्लामी के कई नेताओं पर 1971 के युद्ध को लेकर युद्ध अपराध का आरोप लगाया था।
बांग्लादेश की नई सरकार के मंत्री नाहिद इस्लाम उन छात्र नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने शेख हसीना सरकार के खिलाफ आरक्षण विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया था। पाकिस्तान को लेकर नाहिद इस्लाम का यह बयान अंतरिम सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और बांग्लादेश में पाकिस्तान के उच्चायुक्त सैयद अहमद मारूफ के बीच हुई बैठकों के बाद आया है।
1 सितंबर को नाहिद इस्लाम और अहमद मारुफ की मुलाकात पर मारुफ ने कहा था, ‘पाकिस्तान 1971 के सवालों को सुलझाना चाहता है।’ मारुफ ने कहा था कि पिछली सरकार ने हमें इस मुद्दे पर चर्चा करने का मौका नहीं दिया और पिछली सरकार ने 1971 के मुद्दे को बनाए रखा। उन्होंने कहा कि अगर शेख हसीना सरकार ने मौका दिया होता तो यह मुद्दा बहुत पहले ही सुलझ गया होता। मारुफ ने कहा कि पाकिस्तान बांग्लादेश के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने का इच्छुक है।
वहीं, आईटी मंत्री नाहिद इस्लाम ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि 1971 का मुद्दा बांग्लादेश के इतिहास का एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा है। उन्होंने कहा कि अवामी लीग के अनुसार यह इतिहास का आखिरी अध्याय था लेकिन हमें लगता है कि यह इतिहास का हिस्सा था।
1971 में क्या हुआ था?
दरअसल, 1971 के मुक्ति संग्राम के बाद बांग्लादेश पाकिस्तान के पश्चिमी हिस्से से अलग होकर एक स्वतंत्र देश बन गया था। शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान इस स्वतंत्रता संग्राम के नायक थे। पाकिस्तानी सेना पर इस क्षेत्र में अत्याचार करने का आरोप लगा, लेकिन आखिरकार भारत की मदद से बांग्लादेश को अपनी आजादी की लड़ाई में सफलता मिली। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस संघर्ष में करीब 30 लाख लोग मारे गए थे।