India News(इंडिया न्यूज), Sheikh Hasina Bangladesh: बांग्लादेश में कई हफ्तों से भारी तनाव का माहौल बना हुआ था। देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ विपक्ष के साथ-साथ जनता का गुस्सा उफनता जा रहा था। इसका नतीजा जो हुआ वो किसी राजनेता के लिए सबसे भयावह है। बांग्लादेश के पीएम पद से शेख हसीना को ना सिर्फ इस्तीफा देना पड़ा बल्कि नफरत की वजह से देश छोड़कर भागना भी पड़ा। प्रधानमंत्री की गद्दी हिला देने वाले हालात काफी समय से बन रहे थे। आगे जानें शेख हसीना की वो गलतियां जिसकी वजह से इस देश में तख्ता पलट हुआ है।
शेख हसीना एक वक्त पर बांग्लादेश की सबसे लोकप्रिय नेता थीं। वो लगभग 15 वर्षों तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के पद पर रहीं। उनका पहला कार्यकाल जून 1996 से जुलाई 2001 तक था। इसके बाद वो लोगों को विश्वास हासिल कर 6 जनवरी 2009 से इस पद पर थीं लेकिन समय के साथ-साथ वो लोकप्रिय से अलोकप्रिय नेता बनती चली गईं। जानें ऐसा क्यों हुआ।
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फैसला जो बना नासूर
बांग्लादेश में जो हालत नासूर बने वो छात्रों के प्रोटेस्ट से शुरू हुए थे। ये प्रदर्शन तब शुरू हुआ जब शेख हसीना ने उन लोगों को सरकारी नौकरी में कोटा दे दिया था, जिनके परिवार में से किसी ने 1971 में देश की आजादी की लड़ाई लड़ी थी।
इस कदम से भड़का गुस्सा
जिसकी वजह से कई छात्र नाराज हो गए और इसका विरोध शुरू कर दिया लेकिन लेकिन सरकार के सख्त रवैये की वजह से ये प्रदर्शन गुस्से में तब्दील हो गया। सरकार की तरफ से प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज जैसे सख्त कदम ने गुस्सा और भड़काया और ये प्रदर्शन व्यापक हिंसा, आगजनी और अफरा-तफरी में बदल गया।
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विपक्ष को लेकर गलती
शेख हसीना सरकार पर विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप लगता रहा है। उन्होंने कई विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी करवाई और इसका नतीजा ये हुआ की हसीना के खिलाफ विपक्ष एकजुट हो गई। छात्रों के विरोध प्रदर्शन में विपक्ष ने रैली करते हुए इसे और भी बड़े स्तर पर पहुंचा दिया था।
लगे थे ऐसे आरोप
अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सामने शेख हसीना सरकार द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन का मामला भी उठाया जा चुका है। उन पर विपक्ष की आवाज दबाने और मीडिया सेंसरशिप के भी आरोप लग चुके हैं।