India News(इंडिया न्यूज), Sheikh Hasina: बांग्लादेश में शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद सेना ने एक अंतरिम सरकार के गठन का ऐलान किया है। इस अंतरिम सरकार का नेतृत्व डॉ. सलीमुल्लाह खान और डॉ. आसिफ नजरुल करेंगे। सरकार में 10 सदस्यों को जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिसमें रिटायर्ड जज, सेना के पूर्व अधिकारी, और एक हिंदू समुदाय के प्रतिनिधि शामिल हैं। इस बीच, जमात-ए-इस्लामी द्वारा दी गई धमकियों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
अंतरिम सरकार का गठन और नेतृत्व:
नई अंतरिम सरकार में शामिल प्रमुख व्यक्ति निम्नलिखित हैं:
- डॉ. सलीमुल्लाह खान: एक बांग्लादेशी लेखक और शिक्षाविद, जिनका बंगाल से गहरा नाता है और जिन्होंने ढाका विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की है।
- डॉ. आसिफ नजरुल: एक बांग्लादेशी लेखक और पत्रकार, जिन्होंने राजनीति पर कई लेख लिखे हैं।
- रिटायर्ड जस्टिस मोहम्मद अब्दुल वहाब मिया: पूर्व न्यायाधीश।
- रिटायर्ड जनरल इकबाल करीम भुइयां: पूर्व सेना अधिकारी।
- रिटायर्ड मेजर जनरल सैयद इफ्तिखार उद्दीन: पूर्व सेना अधिकारी।
- डॉ. देबप्रिया भट्टाचार्य: हिंदू समुदाय के प्रमुख अर्थशास्त्री और सार्वजनिक नीति विश्लेषक।
- मतिउर रहमान चौधरी: अन्य वरिष्ठ सदस्य।
- ब्रिगेडियर जनरल (सेवानिवृत्त) एम सखावत हुसैन: पूर्व सेना अधिकारी।
- डॉ. हुसैन जिल्लुर रहमान: एक और महत्वपूर्ण सदस्य।
- जस्टिस एम ए मतिन: पूर्व न्यायाधीश।
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सेना की स्थिति और धमकियाँ:
बांग्लादेश की सेना ने स्पष्ट किया है कि वर्तमान स्थिति के मद्देनजर कोई आपातकाल लागू नहीं किया जाएगा। आईएसपीआर निदेशक समी-उद-दौला ने न्यूज18 से कहा कि चुनावों पर चर्चा करना अभी जल्दबाजी होगी और सेना अस्थायी रूप से शासन संभाल रही है ताकि स्थिति को काबू में लाया जा सके। सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-ज़मान ने भी इस बात की पुष्टि की है कि एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया है और वे पूरी जिम्मेदारी ले रहे हैं।
जमात-ए-इस्लामी की धमकियाँ:
इस बीच, जमात-ए-इस्लामी ने धमकी दी है कि यदि किसी देश ने शेख हसीना को शरण दी, तो उनका दूतावास घेर लिया जाएगा और कर्मचारियों को बाहर न निकलने दिया जाएगा। इस धमकी ने स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता का विषय बन गया है।
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बांग्लादेश में सेना द्वारा गठित अंतरिम सरकार में विविध पृष्ठभूमि के व्यक्तियों को शामिल किया गया है, जिसमें सैन्य और न्यायिक अनुभव वाले लोग शामिल हैं, साथ ही हिंदू समुदाय का प्रतिनिधित्व भी है। वर्तमान स्थिति में सेना ने आपातकाल लागू नहीं करने की घोषणा की है, लेकिन जमात-ए-इस्लामी की धमकियाँ स्थिति को और जटिल बना रही हैं। ऐसे में, भविष्य की राजनीति और सुरक्षा स्थिति पर बारीकी से निगरानी रखने की आवश्यकता है।