विदेश

बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शनों में 97 लोगों की मौत, भारत ने अपने नागरिकों को किया सावधान

India News (इंडिया न्यूज), Bangladesh Violence: बांग्लादेश में रविवार (4 अगस्त) को राजधानी ढाका समेत कई शहरों में हिंसा भड़क गई। जिसमें 97 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए। दरअसल प्रदर्शनकारी छात्रों ने पुलिस और सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ झड़प की। वहीं पीएम शेख हसीना के इस्तीफ़े की मांग कर रहे हज़ारों प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और स्टन ग्रेनेड का इस्तेमाल किया। बांग्लादेश सरकार ने रविवार शाम 6 बजे से अनिश्चितकालीन राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू की घोषणा की। बता दें कि हसीना के लिए विरोध प्रदर्शन एक बड़ी चुनौती बन गए हैं, जो जनवरी में लगातार चौथी बार सत्ता में लौटीं हैं।

भारत ने अपने नागरिकों को चेताया

बता दें कि, भारतीय विदेश मंत्रालय ने जारी घटनाक्रम को देखते हुए अपने नागरिकों को अगली सूचना तक बांग्लादेश की यात्रा न करने की दृढ़ता से सलाह दी। साथ ही वर्तमान में बांग्लादेश में मौजूद सभी भारतीय नागरिकों को अत्यधिक सावधानी बरतने, अपनी गतिविधियों को प्रतिबंधित करने और अपने आपातकालीन फोन नंबर 8801958383679, 8801958383680, 8801937400591 के माध्यम से ढाका में भारतीय उच्चायोग के संपर्क में रहने की सलाह दी है।

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इस बीच अवामी लीग ने घोषणा की है कि प्रधानमंत्री हसीना ने हिरासत में लिए गए सभी छात्रों को रिहा करने के लिए कहा है। पार्टी ने कहा कि उन्होंने शीर्ष अधिकारियों और गृह मंत्री को निर्देश दिया है कि जो छात्र निर्दोष हैं और जिनके खिलाफ हत्या और बर्बरता जैसे गंभीर अपराधों का कोई आरोप नहीं है। उन्हें भी रिहा किया जाना चाहिए। जेल में बंद प्रदर्शनकारियों की रिहाई आंदोलनकारियों की प्रमुख मांगों में से एक थी।

क्यों भड़की है हिंसा?

बता दें कि, बांग्लादेश के 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दिग्गजों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण देने वाली कोटा प्रणाली को लेकर पिछले महीने विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। वहीं जैसे-जैसे प्रदर्शन तेज होते गए, सुप्रीम कोर्ट ने कोटा घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया, जिसमें 3 प्रतिशत दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए समर्पित था। हालांकि, विरोध प्रदर्शन जारी रहा, प्रदर्शनकारियों ने अशांति को शांत करने के लिए सरकार द्वारा इस्तेमाल किए गए कथित अत्यधिक बल के लिए जवाबदेही की मांग की। कई मौकों पर हिंसक हो चुके इस आंदोलन ने अब तक देश भर में कम से कम 200 लोगों की जान ले ली है, जिसमें ढाका इसका केंद्र रहा है।

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Raunak Pandey

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