India News (इंडिया न्यूज), America Israel Arms Deal : अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को शपथ लेंगे। लेकिन इससे पहले जो बाइडेन ने बड़ा खेला कर दिया है। असल में बाइडेन प्रशासन ने इजरायल के साथ 8 बिलियन डॉलर के हथियारों की बिक्री की पूरी योजना तैयार कर ली है। इस बात की जानकारी अमेरिकी कांग्रेस (अमेरिकी संसद) को दी गई है। जानकारी के मुताबिक इस खेप में मिसाइल, गोले-बारुद और अन्य हथियार शामिल हैं।
इस फैसले से ट्रंप की परेशानी बढ़ सकती है। मिडिल ईस्ट में इजरायल हमास वार को लेकर ट्रंप पहले से ही अपनी पॉलिसी बनाए बैठे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि ट्रंप इजरायल को और हथियार देने के पक्ष में नहीं हैं। फिलहाल इजरायल को भेजे जाने वाले हथियार की खेप को हाउस और सीनेट समितियों से मंजूरी की आवश्यकता है।
इजरायल हमास वार में ट्रंप पहले ही हमास को अल्टीमेटम दे चुके हैं कि वो अपने घुटने टेक दे नहीं तो उसे अंजाम भुगतना होगा। बाइडेन प्रशासन शुरूआत से ही एक तरफ गाजा में मारे गए निर्दोष लोगों के प्रति संवेदना प्रकट कर रहा है। तो वहीं दूसरी तरफ वो युद्ध में इजरायल का समर्थन करने से भी नहीं चूक रहा। अगस्त में अमेरिका ने इजरायल को लड़ाकू जेट सहित अन्य सैन्य उपकरणों के लिए 20 बिलियन डॉलर की बिक्री की मंजूरी दी थी।
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इजरायल के साथ खड़ा अमेरिका
इजरायल हमास वार के शुरू होने के बाद से ही अमेरिका ने इजरायल का साथ दिया है। यही नहीं बाइडेन ने इजरायल की सुरक्षा के लिए अमेरिकी सेना को भी उसकी मदद के लिए लगा दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राष्ट्रपति जो बाइडेन ने स्पष्ट कर दिया है कि इजरायल को अपने नागरिकों की रक्षा करने का अधिकार है। बेंजामिन नेतन्याहू जो भी कर रहे हैं वो अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप हैं। उन्हें ईरान और उसके प्रॉक्सी संगठन जैसे हमास, हिजबुल्ला और हूथी विद्रोहियों के हमलों से खुद को बचाने का अधिकार है। हम इजरायल की रक्षा के लिए आवश्यक क्षमताएं प्रदान करना जारी रखेंगे।
इजरायल को मिलेंगे अमेरिकी हथियार!
जानकारी के मुताबिक इजरायल को मिलने वाले नए शिपमेंट में हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, हेलफायर मिसाइलें, तोपखाने के गोले और बम शामिल हैं। इसके अलावा स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, 2019 और 2023 के बीच इजरायल के प्रमुख पारंपरिक हथियारों के आयात का 69% हिस्सा अमेरिका का था। अब ये देखना होगा कि ट्रंप के आने के बाद इजरायल को लेकर अमेरिका का क्या रूख होगा।