India News (इंडिया न्यूज), Vladimir Putin: यूक्रेन-रूस जंग और मध्य पूर्व में जारी संघर्ष के कारण वैश्विक विभाजन एक नई स्तर पर पहुंच चुका है। इस समय दुनिया सेकेंड वर्ल्ड वार के बाद की सबसे पेचीदा स्थिति का सामना कर रही है। पश्चिमी देशों, विशेष रूप से अमेरिका के नेतृत्व में, रूस के खिलाफ एकजुट हो गए हैं और यूक्रेन को हर संभव सहायता प्रदान कर रहे हैं। इसके विपरीत, वे दुनिया के अन्य देशों पर रूस से दूरी बनाने का दबाव भी बना रहे हैं। भारत समेत कई देशों पर भी इस दबाव की छाया पड़ी है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा रूस
विशेषज्ञों का मानना है कि रूस का वैश्विक प्रभाव पहले जैसा नहीं रह गया है, लेकिन राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों की नीतियों को चुनौती देते हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी करके अपनी स्थिति मजबूत की है। इस बैठक में चीन, भारत, ईरान और दक्षिण अफ्रीका के नेता शामिल हुए, जो रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने के पश्चिमी प्रयासों को चुनौती देते हैं।
‘रूस पश्चिमी प्रतिबंधों को महत्व नहीं देता’
BRICS देशों के इस आयोजन से यह स्पष्ट होता है कि रूस पश्चिमी प्रतिबंधों को महत्व नहीं देता। इस समूह में दुनिया की 45 प्रतिशत आबादी रहती है और ये वैश्विक अर्थव्यवस्था के 22 प्रतिशत हिस्से को नियंत्रित करते हैं। ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका इसके संस्थापक सदस्य हैं, जबकि मिस्र, इथियोपिया और ईरान को हाल ही में सदस्यता मिली है।
रूस ‘पश्चिमी प्रतिबंधों को कमजोर करने और अमेरिकी डॉलर की बादशाहत को चुनौती देने’ के एजेंडे पर काम कर रहा है। हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि इस नए वैश्विक आर्थिक ढांचे को स्थापित करना आसान नहीं होगा, विशेषकर तब जब खुद ब्रिक्स के देशों के बीच भी विवाद और तनाव मौजूद हैं। गोल्डमैन सैक्स के जिम ओ’नेल के अनुसार, चीन और भारत के आपसी मतभेद इस पहल को कमजोर कर सकते हैं। इस प्रकार, एक तटस्थ वैश्विक संगठन का सपना, जो जी-7 को चुनौती दे सके, फिलहाल अधूरा ही नजर आता है।