India News (इंडिया न्यूज), US Presidential Election: उद्घाटन दिवस पर अमेरिका के नए राष्ट्रपति शपथ लेते हैं और पूर्व राष्ट्रपति इस दिन उन्हें न्यूक्लियर फुटबॉल सौंपते हैं। उद्घाटन दिवस हर चार साल बाद 20 जनवरी को होता है और इस बार ये 2025 में है। इस न्यूक्लियर फुटबॉल को अमेरिका की परमाणु शक्तियों का प्रतीक माना जाता है और राष्ट्रपति किसी आपात स्थिति में परमाणु हमले का आदेश दे सकते हैं। न्यूक्लियर फुटबॉल एक काले रंग का ब्रीफकेस होता है और जब भी अमेरिका के राष्ट्रपति कहीं जाते हैं या व्हाइट हाउस में नहीं होते हैं तो ये ब्रीफकेस उनके साथ होता है और जब वो व्हाइट हाउस में होते हैं तो न्यूक्लियर फुटबॉल वहीं रहता है।
इसमें एक सिस्टम होता है, जिसमें लॉन्च कोड डालना होता है। इसमें कोई बटन नहीं होता है, लेकिन युद्ध की योजना बनाने से लेकर हमले को मंजूरी देने तक के लिए कंप्यूटर कोड और संचार उपकरण होते हैं। इसका वजन 20 किलो तक होता है।
व्हाइट हाउस मिलिट्री ऑफिस के पूर्व निदेशक की एक किताब 1980 में प्रकाशित हुई थी। इसमें बताया गया था कि परमाणु फुटबॉल को आधिकारिक तौर पर प्रेसिडेंशियल इमरजेंसी सैचेल कहा जाता है, जिसमें कोड का एक सेट, वैकल्पिक परमाणु हमलों की योजनाओं की सूची, परमाणु हमले की स्थिति में राष्ट्रपति के ठहरने के स्थानों की सूची और देश की आपातकालीन प्रसारण प्रणाली का उपयोग करने के विवरण और प्रक्रियाएं शामिल हैं।
अगर ऐसा लगता है कि अमेरिका पर परमाणु हमले का खतरा है, तो राष्ट्रपति इसकी गंभीरता का आकलन कर सकते हैं और जवाबी कार्रवाई करने का फैसला कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए उनके पास कुछ ही मिनट होते हैं। इसके लिए कुछ नियम और प्रक्रियाएं हैं, जिनका राष्ट्रपति को पालन करना होता है। परमाणु फुटबॉल को बैकअप के तौर पर उपराष्ट्रपति को भी दिया जाता है, लेकिन वे इसका इस्तेमाल तभी कर सकते हैं, जब राष्ट्रपति ऐसा करने में असमर्थ हों।
ब्रीफकेस में ही एक बिस्किट टॉप कार्ड होता है जिस पर प्रोजेक्टर लॉन्च के कोड लिखे होते हैं, जिसे राष्ट्रपति हमेशा अपने पास रखते हैं। साथ ही, अमेरिकी राष्ट्रपति कुछ खास नाट्य उपकरणों और औजारों के जरिए सेना को घातक हमले करने का निर्देश दे सकते हैं। इन उपकरणों का उद्देश्य यह है कि सेना यह पुष्टि कर सके कि उन्हें कमांडर इन चीफ यानी राष्ट्रपति से आदेश मिले हैं।
फुटबॉल फुटबॉल राष्ट्रपति का बहुत करीबी साथी रहा है। जब राष्ट्रपति कहीं बाहर जाते हैं तो उनके सहयोगी भी उसी होटल में रुकते हैं जहां वे ठहरते हैं। वे चुनौतियों में भी उनके साथ होते हैं। इस सहयोगी की सुरक्षा के लिए सीक्रेट सर्विस के अधिकारी राष्ट्रपति के साथ होते हैं।
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