India News (इंडिया न्यूज), Canada India Foreign Threat: कनाडा की एक उच्चस्तरीय संसदीय समिति ने भारत को ‘दूसरा सबसे बड़ा विदेशी खतरा’ बताया है। इसमें चीन को पहले नंबर पर रखा गया है। कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया संसदीय समिति (NSICOP) ने इस सप्ताह अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत अब रूस की जगह चीन के बाद कनाडा की लोकतांत्रिक संस्थाओं और प्रक्रियाओं के लिए दूसरा सबसे बड़ा विदेशी हस्तक्षेप खतरा बनकर उभरा है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक बयान में विदेशी हस्तक्षेप को लेकर अपनी सरकार की गंभीर चिंता पर जोर दिया है।
यह रिपोर्ट ऐसे समय में जारी की गई है जब ट्रूडो के आरोपों के कारण भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ गया है और दोनों के बीच संबंध खराब हो गए हैं। ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय सरकारी एजेंटों के शामिल होने का आरोप लगाया था। हालांकि, ट्रूडो ने आरोपों के संबंध में कभी कोई सबूत नहीं दिया। भारत ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया है।
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रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि विदेशी हस्तक्षेप के भारत के प्रयास धीरे-धीरे कनाडा में खालिस्तान समर्थक तत्वों का मुकाबला करने से आगे बढ़ गए हैं। इन प्रयासों में कनाडाई लोकतांत्रिक प्रणालियों और संस्थानों में हस्तक्षेप करना शामिल है, जिसमें कनाडाई राजनेताओं, जातीय मीडिया और इंडो-कनाडाई जातीय सांस्कृतिक समुदायों को निशाना बनाना शामिल है। 84 पन्नों की रिपोर्ट में भारत का 44 बार उल्लेख किया गया है।
भारतीय अधिकारियों ने अभी तक इन आरोपों का जवाब नहीं दिया है। इससे पहले, नई दिल्ली ने ऐसे दावों का खंडन किया है। इसके साथ ही भारत ने कनाडाई अधिकारियों पर भारतीय मामलों में हस्तक्षेप करने और खालिस्तानी आंदोलन से जुड़े लोगों सहित चरमपंथी तत्वों को पनाह देने का आरोप लगाया है। NSICOP की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ कनाडाई सांसद विदेशी शक्तियों से प्रभावित हो सकते हैं। इसमें विदेशी मिशनों के साथ अनुचित संचार में शामिल होने और विदेशी राजनयिकों के साथ गोपनीय जानकारी साझा करने की संभावना भी जताई गई है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ सांसदों को विदेशी संस्थाओं या उनके प्रतिनिधियों से वित्तीय सहायता मिली हो सकती है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब भारत और कनाडा के प्रधानमंत्रियों के अगले सप्ताह इटली में जी7 शिखर सम्मेलन में एक-दूसरे से मिलने की उम्मीद है। हालांकि, दोनों के बीच किसी औपचारिक द्विपक्षीय बैठक का कोई संकेत नहीं है। ट्रूडो ने कहा है कि शिखर सम्मेलन में उनके मिशन में विदेशी हस्तक्षेप और गलत सूचना का मुकाबला करने सहित लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के महत्व पर प्रकाश डालना शामिल होगा।
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