India News (इंडिया न्यूज), Chhath Puja 2023: छठ महापर्व आज उगते सूर्य के अर्घ्य के साथ ही समाप्त हो जाएगा। इस महापर्व की खासियत ही यही है कि जो जहां रहता है वहीं भगवान भास्कर को अर्घ्य देता है। कुछ ऐसी ही तस्वीरें आई हैं अमेरिका से। सनातन धर्म में इस व्रत का खास महत्व है। बता दें कि इस पर्व को लोग सूर्य षष्ठी, छठ, छठी, छठ पर्व, डाला पूजा, प्रतिहार और डाला छठ के नाम से भी जानते हैं। इस दौरान भगवान सूर्य और छठ माता की पूजा का विधान है। यह चार दिनों का महापर्व है। आज 20 नवंबर को इस महापर्व का चौथा और आखिरी दिन है। आज ही उगते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जा रहा। भगवान सूर्य और उनकी पत्नी उषा को यह पूजा समर्पित होती है।
खबरों की मानें तो अमेरिका के न्यूजर्सी में महापर्व छठ का आयोजन किया गया है। बिहार झारखंड एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (BJANA) और बिहार फाउंडेशन की यूएस टीम ने मिल कर इसकी तैयारी की है। बता दें कि अमेरिका में प्रवासी भारतीयों का सबसे बड़ा संगठन द फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशन (एफआईए) है। उन्होंने भी इसमें बड़ी भूमिका अदा की है। यहां सूर्योदय और सूर्यास्त दोनों समय सूर्य को अर्घ्य दिया गया।
बता दें कि न्यूजर्सी के मोनरो के थॉमसन पार्क में भी लगातार पांचवें साल घाट तैयार कर यह पर्व मनाया जा रहा। अमेरिका में बसे प्रवासी भारतीयों ने सूर्य अर्घ्य दिया। व्रत रखने वालों के लिए स्थानीय प्रशासन की ओर से खास प्रबंध किया गया था।
आप जान कर हैरान रह जाएंगे कि भारतीय मूल के लगभग 2000 लोगों ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया है। प्रशासन की मदद से विशेष तौर पर घाटों को सजाया गया है।
निसंतान दंपत्तियों द्वारा संतान प्राप्ति के लिए छठ पूजा की जाती है। साथ ही छठ व्रत करने से संतान की सेहत अच्छी बनी रहती है, और उन्हें जीवन में सफलता प्राप्त होती है। यह पूजा मूल रूप से संतान के लिए की जाती है। ऐसे में छठ पूजा में बांस के बन सूप का इस्तेमाल किया जाता है, जो इस बात का प्रतीक है कि जिस प्रकार बांस तेजी से बढ़ता है उसी प्रकार संतान की भी प्रगति हो। यही कारण है कि छठ पूजा बांस के सूप के बिना अधूरी मानी जाती है।
छठ पूजा के दौरान सूर्य की पूजा में अर्घ्य देते समय भी बांस के सूप का इस्तेमाल किया जाता है। इस दौरान महिलाएं बांस से बने सूप, टोकरी या देउरा में फल आदि रखकर छठ घाट पर ले जाती हैं और इन्ही के द्वारा सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। बांस से बने सूप या टोकरी की सहायता से ही छठी मैया को भेंट भी दी जाती है। मान्यताओं के अनुसार, बांस से पूजा करने से धन और संतान का सुख मिलता है।
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