India News(इंडिया न्यूज),Chinese Millionaires Left Country: करीब 20 सालों से वैश्विक अर्थव्यवस्था का इंजन बने रहे चीन के भीतर अब तेजी से बदलाव आ रहे हैं। कहीं न कहीं चीन की अर्थव्यवस्था कई मोर्चों पर संघर्ष करने को मजबूर हो गया है। वहीं, फिच ने चीन को लेकर आशंका जताई है कि अगले साल वैश्विक अर्थव्यवस्था को धीमा करने में सबसे बड़ा हाथ अमेरिका और चीन का होगा। इसका मतलब है कि आने वाले समय में चीन में हालात बदलने की कोई संभावना नहीं है। फिच की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 में वैश्विक विकास दर इस साल के 2.6 फीसदी के मुकाबले गिरकर 2.4 फीसदी रह सकती है, जबकि भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7 फीसदी से बढ़ाकर 7.2 कर दिया गया है। अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था में इस गिरावट की वजह अमेरिका और चीन हैं तो वहां के अमीरों में भी भरोसा कम होगा, जिसका नमूना एक रिपोर्ट में मिल रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि इस साल 15 हजार 200 अमीर लोग चीन छोड़ सकते हैं। पिछले साल 13 हजार 800 अमीर लोगों ने चीन को अलविदा कहा था। इसमें वो अमीर लोग भी शामिल हैं जिनकी नेटवर्थ एक मिलियन डॉलर से ज्यादा है। चीन के अमीर

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इस साल चीन छोड़कर जाने वाले अमीरों की संख्या में बढ़ोतरी की वजह यह है कि वहां अर्थव्यवस्था को लेकर अनिश्चितता बढ़ती जा रही है। अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ तनाव लगातार बढ़ रहा है। निवेश प्रवास फर्म हेनले एंड पार्टनर्स की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन छोड़कर जाने वाले ज्यादातर लोगों का नया ठिकाना अमेरिका है। इसके साथ ही चीन के अमीर और मध्यम वर्ग के लोगों में जापान के बारे में पूछताछ बढ़ी है क्योंकि वहां की जीवनशैली बेहतरीन मानी जाती है और यह दुनिया के सबसे सुरक्षित देशों में से एक है।

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परंपरागत रूप से चीन के अमीर सिंगापुर जाना पसंद करते हैं क्योंकि वहां की संस्कृति और भाषाएं चीन से बेहद मिलती-जुलती है। लेकिन हाल के वर्षों में सिंगापुर ने चीन से आने वाले लोगों की जांच सख्त तरीके से कर रही है जिससे कारण चीन से पलायन करने वालों की चिंता बढ़ गई है।

रियल एस्टेट संकट से तबाह है चीन

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह बताना थाड़ा कठिन है कि चीन छोड़कर जाने वाले लोग अपने साथ कितना रकम लेकर गए हैं। लेकिन पिछले साल देश छोड़कर जाने वाले अमीरों की कुल संपत्ति तीन करोड़ से एक अरब डॉलर के बीच होने का आशंका जताई गई है। चीन की अर्थव्यवस्था पहले से ही संघर्ष कर रही है और इतनी बड़ी संख्या में अमीर लोगों के देश से चले जाने से अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ने की आशंका है। अमीरों के जाने से चीन का संकट और गहराने की आशंका है क्योंकि जीडीपी में 30 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाला रियल एस्टेट सेक्टर कई सालों से गहरे संकट में है जिससे अर्थव्यवस्था के डूबने का खतरा बढ़ रहा है। चीन की स्थानीय सरकारें बुरी तरह कर्ज में डूबी हुई हैं। पिछले साल आईएमएफ ने भी कहा था कि रियल एस्टेट संकट के कारण चीन में अनिश्चितता की स्थिति है। फिच रेटिंग्स ने अप्रैल में चीन के सॉवरेन क्रेडिट आउटलुक को निगेटिव कर दिया था और मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने भी 2023 में ऐसा ही कदम उठाया था।

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