India News (इंडिया न्यूज), China Population: भारत में लगातार बढ़ रही जनसंख्या आज भी एक सबेस बड़ी समस्या है। अब दुनिया के कई देशों में पैटर्न काफी बदल गया है। कई यूरोपीय देशों में घटती जनसंख्या के कारण वहां की सरकारें बहुत चिंतित हैं। युरोप के साथ अब एशियाई देशों में भी यही स्थिति देखने को मिल रही है। यहां तक कि कई मुस्लिम देशों में भी जनसंख्या वृद्धि की दर काफी कम होती जा रही है। चीन भी इससे अछूता नहीं है। पड़ोसी देश चीन कभी दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश था। कुछ समय पहले भारत ने इस मामले में उसे पीछे छोड़ दिया। भारत आज दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है। आज चीन के हालात ऐसे हो गए हैं कि वहां की सरकार भविष्य को लेकर चिंतित हो गई है। चीन की जनसंख्या लगातार घट रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक चीन में प्रजनन दर में काफी कमी आई है। वर्ष 2022 में यह दर चीन में घटकर 1.09 प्रतिशत रह गई। उससे दो साल पहले यानी 2020 में चीन ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए एक बच्चे की नीति को खत्म कर दिया था। उस समय चीन में अगर किसी दंपत्ति के एक से अधिक बच्चे होते थे तो उन्हें भारी जुर्माना देना पड़ता था।
चीन में जनसंख्या की स्थिति को समझने के लिए वहां के सबसे बड़े शहर शंघाई का उदाहरण ले सकते हैं। शंघाई में 2023 में प्रजनन दर 0.6 प्रतिशत थी। जबकि किसी समाज में जनसंख्या की मौजूदा स्थिति को बनाए रखने के लिए प्रजनन दर 2.1 होनी चाहिए। प्रजनन दर से आशय है कि एक महिला के कितने बच्चे हैं। मौजूदा जनसंख्या को बनाए रखने के लिए एक महिला के कम से कम 2.1 बच्चे होने चाहिए। भविष्य के इस खतरे से चिंतित चीनी सरकार ने अब जनसंख्या बढ़ाने का अभियान शुरू कर दिया है। सरकार ने 2020 से पहले जनसंख्या नियंत्रण के लिए जो तंत्र बनाया था, उसका इस्तेमाल अब जनसंख्या बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। ये सरकारी अधिकारी और कर्मचारी जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं। वे समाज में मातृत्व आयु की महिलाओं की काउंसलिंग कर रहे हैं।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, ये जमीनी स्तर के कार्यकर्ता ऐसी महिलाओं को बुलाकर उन्हें माँ बनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में ऐसी कई महिलाओं की कहानियाँ हैं। काउंसलिंग के दौरान ये कार्यकर्ता महिलाओं के पीरियड्स के समय के बारे में भी पूछ रहे हैं। फिर उन्हें सुझाव दे रहे हैं कि उन्हें कब संभोग करना चाहिए ताकि उनके गर्भवती होने की संभावना बढ़ जाए।
सरकार की इस पहल पर महिलाएं मिलीजुली प्रतिक्रिया दे रही हैं। कई का कहना है कि अब न तो वे मां बनना चाहती हैं और न ही उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी है कि वे बच्चे का बोझ उठा सकें। कई महिलाओं और परिवारों की प्रतिक्रियाएं हैं जो कह रही हैं कि सरकार को एक से अधिक बच्चे पैदा करने पर पहले वसूले गए पैसे वापस करने चाहिए। सरकार ने ऐसे प्रत्येक परिवार से 45 हजार अमेरिकी डॉलर यानी करीब 38 लाख रुपये तक की आर्थिक वसूली की थी।
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