India News (इंडिया न्यूज़), China Nuclear Weapons News: परमाणु हथियार कितनी तबाही मचा सकते हैं, यह दुनिया ने 1945 में ही देख लिया था, जब इन्हें विकसित किया गया था। अमेरिका ने 6 और 9 अगस्त को जापान के दो मुख्य शहर नागासाकी और हिरोशिमा पर एक-एक करके परमाणु बम गिराए थे। पूरी दुनिया में परमाणु बम के इस्तेमाल की यह इकलौती घटना है। इसके बाद के दशकों में ब्रिटेन, चीन, भारत, रूस, फ्रांस समेत कई देशों ने परमाणु हथियार बनाने की क्षमता को हासिल कर ली। नतीजा यह हुआ कि छोटे-मोटे संघर्षों के भी परमाणु युद्ध में तब्दील होने का खतरा बना रहा। अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का जमाना आ गया है। चीन और अमेरिका समेत कई देश एआई के सैन्य इस्तेमाल पर प्रयोग कर रहे हैं। यह मामला इतना बढ़ गया है कि अब परमाणु हथियारों को भी एआई के जरिए नियंत्रित किए जाने का खतरा पैदा होने लगा है।
चीन के रुख ने दिया नया सिरदर्द
इस खतरे को कम करने के लिए पिछले दिनों दक्षिण कोरिया में दुनिया के 60 देश जुटे थे। इनका लक्ष्य यह घोषित करना था कि परमाणु हथियारों का नियंत्रण एआई के नहीं, बल्कि इंसानों के हाथ में रहेगा। इस समझौते में अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम (यूके) जैसे देश शामिल हैं, लेकिन चीन जैसे बड़े देश ने खुद को इस घोषणा और कार्यक्रम से दूर रखा। यूक्रेन युद्ध के कारण रूस को इसमें शामिल नहीं किया गया। यानी दुनिया में परमाणु हथियारों के सबसे बड़े भंडार वाले दो देश इस सोच से सहमत नहीं हैं। यह न केवल अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों, बल्कि पूरी दुनिया के लिए सिरदर्द बढ़ाने वाली बात है।
चीन ने बार-बार एआई पर परमाणु नियंत्रण से किया इनकार
दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में सैन्य क्षेत्र में जिम्मेदार एआई (आरईएआईआईएम) शिखर सम्मेलन बुलाया गया था। इसमें 100 देशों को आमंत्रित किया गया था, करीब 60 देश आए। इन देशों ने ‘ब्लूप्रिंट ऑफ एक्शन’ को मंजूरी दी। इसमें घोषणा की गई कि ‘परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से जुड़ी सभी कार्रवाइयों के लिए मानवीय नियंत्रण और भागीदारी बनाए रखना जरूरी है।’ यह घोषणा एक गैर-बाध्यकारी समझौता है। आरईएआईआईएम शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हुआ है, जब चीन ने बार-बार एआई द्वारा परमाणु हथियारों को नियंत्रित करने की संभावना से इनकार किया है।
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AI के सैन्य उपयोग के लिए ‘कार्रवाई का खाका’ क्या है?
इस वर्ष सियोल में REAIM शिखर सम्मेलन का दूसरा संस्करण आयोजित किया गया था। पहले संस्करण में लगभग 100 देशों ने भाग लिया था। इस वर्ष की घोषणा में स्वीकार किया गया कि सैन्य क्षेत्र में AI के विकास के साथ तालमेल रखने के लिए देशों को अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है। AFP के अनुसार, घोषणा में परमाणु हथियारों पर AI के नियंत्रण को रोकने का आह्वान किया गया था, लेकिन उल्लंघन के मामले में कोई प्रतिबंध या अन्य दंड नहीं दिया गया था।
AI का सबसे घातक उपयोग!
चीन ने लगातार इस संभावना को खारिज किया है कि AI उसके परमाणु हथियारों को नियंत्रित कर सकता है। अब तक, दुनिया भर की सेनाएँ निगरानी, निगरानी और विश्लेषण के लिए AI का उपयोग करती रही हैं। इस बात पर आम सहमति रही है कि परमाणु हथियार दागने का निर्णय हमेशा मनुष्यों के हाथ में रहेगा।
AFP की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी योजना है कि भविष्य में लक्ष्य चुनने के लिए AI का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन अधिकांश देश अभी भी इस बात पर सहमत हैं कि लॉन्च करने का निर्णय मनुष्यों के हाथ में होना चाहिए। लेकिन चीन के मामले में ऐसा नहीं है। जून में व्हाइट हाउस ने कहा था कि चीन ने परमाणु हथियारों के प्रक्षेपण को नियंत्रित करने में एआई की भूमिका को सीमित करने के अमेरिकी प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है।