India News (इंडिया न्यूज), Jinping Building New Detention Centers: चीन एक बार सुर्खियों में है। इसकी दो वजहें हैं। एक तरफ जहां तिब्बत के सेरथर काउंटी में स्थित दुनिया का सबसे बड़ा तिब्बती बौद्ध अध्ययन केंद्र लारुंग गार बौद्ध अकादमी अब चीन की कड़ी निगरानी में है। तो वहीं दूसरी तरफ खबर आ रही है कि, चीनी प्रशासन शी जिनपिंग के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में पकड़े गए संदिग्धों से पूछताछ के लिए देश भर में 200 से ज्यादा विशेष हिरासत केंद्र बना रहा है। अमेरिकी मीडिया चैनल CNN की एक जांच में पाया गया है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी से परे सार्वजनिक क्षेत्र के एक बड़े हिस्से पर अपनी पकड़ मज़बूत कर रहे हैं।
तीसरे कार्यकाल में खुलकर ये काम कर रहे हैं जिनपिंग
हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, साल 2012 में सत्ता संभालने के बाद से चीनी राष्ट्र्पति शी जिनपिंग ने भ्रष्टाचार और बेईमानी के खिलाफ एक व्यापक अभियान शुरू किया है, जिसमें उन्होंने बड़े पैमाने पर भ्रष्ट अधिकारियों के साथ-साथ राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को भी हटाया है, जबकि पार्टी और सेना पर नियंत्रण को मजबूत किया है। अब अपने तीसरे कार्यकाल में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस छिपे हुए अभियान को अपने खुले शासन की एक स्थायी और संस्थागत विशेषता में बदल दिया है। शी अधिकारियों को नियंत्रण में रखने के लिए इसका तेजी से इस्तेमाल कर रहे हैं, चाहे वे निजी उद्यमी हों, पार्टी के सदस्य हों, स्कूल और अस्पताल के प्रशासक हों।
परिवार और वकीलों से मिलने की नहीं मिलती है सुविधा
विस्तारित हिरासत प्रणाली, जिसे ‘लिउज़ी’ या ‘रिटेंशन इन कस्टडी’ कहा जाता है, बंदियों को वकील या परिवार के सदस्यों की पहुंच के बिना छह महीने तक जेल में रखने की अनुमति देती है। हम आपको बतातें चलें कि, कई दशकों से कम्युनिस्ट पार्टी की अनुशासन शाखा, सेंट्रल कमीशन फॉर डिसिप्लिन इंस्पेक्शन (CCDI), भ्रष्टाचार और अन्य गलत कामों के संदिग्ध कम्युनिस्ट पार्टी के कैडरों से पूछताछ करने के लिए एक गुप्त, अवैध हिरासत प्रणाली चलाती रही है।
जांच के दायरे में आने वाले अधिकारियों को अक्सर महीनों तक पार्टी परिसरों, होटलों या अन्य गुप्त स्थानों में गायब कर दिया जाता था, जहां उन्हें कानूनी सलाह या परिवार से मिलने की सुविधा नहीं मिलती थी। 2018 में, व्यापक दुर्व्यवहार, यातना और जबरन स्वीकारोक्ति पर बढ़ती आलोचना के बीच, शी ने ‘शुआंगगुई’ या ‘दोहरी पदनाम’ के रूप में जानी जाने वाली विवादास्पद प्रथा को समाप्त कर दिया।