इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : फीफा विश्व कप 2022 का आयोजन इस्लामी मुल्क कतर में हो रहा है। हालाँकि, इस बड़े आयोजन के लिए कतर ने स्टेडियमों में विभिन्न प्रकार प्रतिबंध लगाए हैं। इन प्रतिबंधों को लेकर जाँच की बात कही जा रही है। यही नहीं, विश्व कप के लिए कतर पहुँचे लोगों का धर्मांतरण कराने के लिए जिस तरह से रणनीतियाँ बनाई गईं हैं, उसको लेकर भी कतर की आलोचना हो रही है।
हाल की में सामने आई एक रिपोर्ट के अनुसार, कतर की राजधानी दोहा में बनी ‘कटारा कल्चरल विलेज’ मस्जिद गैर-मुस्लिमों को धर्मांतरण के लिए आकर्षित करने का केंद्र बनी हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मस्जिद में कई भाषाएँ बोलने वाले पुरुष और महिला मुबल्लिग़ों को तैनात किया गया है। ये मुबल्लिग़ मस्जिद में आने वाले लोगों को इस्लाम के बारे में विस्तार से बताते हैं। यही नहीं, यहाँ आने वाले पर्यटकों को एक इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड देखने के लिए भी कहा जा रहा है। इस इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड में 30 से अधिक भाषाओं में इस्लाम के बारे में बताया गया है। इसके अलावा, यहाँ विभिन्न भाषाओं में इस्लाम का ‘परिचय’ बताने वाली पुस्तकें रखीं गईं हैं जिन्हें पर्यटकों के बीच बाँटा जा रहा है।
यही नहीं, कतर के अकाफ और इस्लामी मामलों के मंत्रालय ने फीफा विश्व कप स्टेडियम के बाहर एक पंडाल बनाया है, जहाँ पर्यटकों को इस्लाम और इसकी शिक्षाओं के बारे में ‘ज्ञान’ दिया जा रहा है। इसके अलावा, सड़कों किनारे बनी दीवारों पर हदीस भी लिखी गईं हैं, ताकि कतर आए हुए लोग इन हदीस को पढ़कर इस्लाम से प्रभावित हो सकें।
ईद चैरिटी फाउंडेशन में इस्लाम को बढ़ावा देने के लिए कतर गेस्ट सेंटर के कर्मचारी और प्रचारक मस्जिद के एंट्री गेट पर तैनात हैं। ये लोग, यहाँ आने वाले गैर-मुस्लिमों का स्वागत करते हैं और मस्जिद और इस्लाम के बारे में उनके सवालों का जवाब देते हैं। साथ ही, मस्जिद के अंदर के माहौल के बारे में बताने के लिए पर्यटकों को नमाज़ के बाद मस्जिद में प्रवेश देकर इस्लाम की जानकारी देते दिखाई देते हैं।
जानकरी दें, कतर ने फीफा वर्ल्ड कप के पहले सप्ताह में इस्लाम और मुस्लिम संस्कृति को प्रदर्शित करने का भी प्रयास किया है। इसमें राजधानी दोहा के आसपास लिखे गए पैगंबर मुहम्मद के कथन और शिक्षाओं का अंग्रेजी सहित कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
कई सोशल मीडिया अकाउंट्स के अनुसार, कतर के कुछ होटल के कमरों में पर्यटकों को इस्लाम के बारे में बताने के लिए क्यूआर कोड भी दिए जा रहे हैं। यही नहीं, होटल्स द्वारा वर्ल्ड कप के लिए कतर आने वाले विदेशियों को इस्लामी पोशाक के बारे में बताने के लिए भी आमंत्रित किया जा रहा है।
आपको बता दें, फुटबॉल विश्व कप के बीच इस्लामिक गतिविधियों की चर्चा होना सिर्फ आम बात है नहीं है। बल्कि, इसके जरिए इस्लाम के प्रचार को बढ़ाने का काम किया जा रहा है। इसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि कट्टरपंथी इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक को कथित तौर पर फुटबॉल फैंस के बीच इस्लाम का प्रचार करने के लिए बुलाया गया था।
हाल ही में, यह बात भी सामने आई थी कि वित्तीय धोखाधड़ी और अन्य अपराधों के लिए भारत में वॉन्टेड इस्लामिक मुबल्लिग जाकिर नाइक इस्लाम का प्रचार करने के लिए कतर गया था। इस दौरान उसका साल 2016 का एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें वह कतर में लोगों को इस्लाम में धर्मांतरित कर रहा था। निश्चित तौर पर यह वीडियो पुराना था। लेकिन, सोशल मीडिया में इस बात को लेकर चर्चा की जा रही थी कि जाकिर नाइक के फीफा विश्व कप 2022 में आने से कुछ फुटबॉल फैंस धर्मांतरण का शिकार हो सकते हैं।
हालाँकि, इस बारे में भारत द्वारा सवाल उठाए जाने के बाद कतर ने स्पष्ट किया था कि जाकिर नाइक को फीफा विश्व कप के उद्धाटन समारोह में उसे आधिकारिक तौर पर आमंत्रित नहीं किया गया था।
मंगलवार (22 नवंबर, 2022) को कई इस्लामवादी ट्विटर हैंडल्स द्वारा दावा किया जा रहा था कि 500 से अधिक लोग (जाहिर तौर पर फीफा विश्व कप 2022 देखने के लिए कतर पहुँचे लोग) इस्लाम में परिवर्तित हो गए हैं। एक ट्वीट में आईएसआईएस समर्थक इस्लामिक कार्यकर्ता माजिद फ्रीमैन ने लिखा था, “अल्लाहु अकबर, हमने कतर के स्थानीय लोगों से सुना है कि हाल ही में 500 से अधिक लोगों ने इस्लाम कबूल कर लिया है।” हालाँकि, इस दावे की पुष्टि के लिए कोई भी पुख्ता मीडिया रिपोर्ट सामने नहीं आई है।
इसके अलावा, ऐसे भी कई रिपोर्ट्स सामने आईं है कि एक मैक्सिकन फैन ने कतर में विश्व कप 2022 के दूसरे दिन दोहा के कल्चरल विलेज की एक मस्जिद में इस्लाम अपना लिया है।
यही नहीं, बुधवार (23 नवंबर 2022) को सोशल मीडिया में वायरल एक वीडियो में दिखाया गया था कि एक ब्राजीलियाई परिवार को एक इस्लामिक उपदेशक द्वारा शाहदाह का उच्चारण करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि कतर को इस्लामिक आतंकवाद से जोड़ा गया है और उस पर कई बार वहाबीवाद (इस्लामिक चरमपंथ) फैलाने का आरोप लगाया जा चुका है। यही नहीं, हाल के दिनों में मुस्लिम ब्रदरहुड, हमास और अल कायदा जैसे आतंकी संगठनों को फंडिंग करने वाले कई संगठनों से इसके संबंध भी उजागर हुए हैं।
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