कैटलिन कारिको और ड्रू वीजमैन संभावित विजेता
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Corona Vaccine Nobel वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के टीके की खोज करने वाले वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार मिल सकता है। सोमवार को इसका ऐलान किया जा सकता है। दो वैज्ञानिकों कैटलिन कारिको और ड्रू वीजमैन को संभावित विजेता बताया जा रहा है। स्वीडन में करोलिंस्का इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर अली मिराजामी ने कहा, टीके की मेसेंजर राइबोन्यूक्लिक एसिड (MRNA) तकनीक बनाने वालों को पुरस्कार जरूर मिलेगा।
मीरजामी ने कटाक्ष करते हुए कहा, कोरोना टीका बनाने वाले वैज्ञानिकों को नोबेल देने में इसलिए भी देरी हो सकती है कि कारिको की उम्र 66 और वीजमैन की उम्र 62 साल है, मतलब इस पुरस्कार के लिए यह उम्र पर्याप्त नहीं है। दरअसल नोबेल कमेटी, पुरस्कार देने के लिए 80 साल पार करने का इंतजार करती है। यूनिवर्सिटी आॅफ कोपेनहेगन के एसोसिएट प्रोफेसर एडम फ्रेड्रिक सैंडर बर्टेलसेन ने भी कोरोना टीका बनाने वाले वैज्ञानिकों के नाम का समर्थन किया है।
MRNA शरीर के डीएनए से मिले संदेशों को कोशिकाओं तक पहुंचाता है। यह कोशिकाओं को जरूरी प्रोटीन बनाने का संदेश देता है। यह एक अद्भुत तालमेल के साथ चलने वाली जैविक प्रक्रिया है जो खाना पचाने से लेकर रोग से लड़ने तक का काम करती है। एमआरएनए आधारित टीकों को बनाने के लिए लैबोरेटरी में बने एमआरएनए का इस्तेमाल किया जा जाता है। यह खास तरह का एमआरएनए कोशिकाओं को कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन बनाने के लिए संदेश देता है, जिससे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद मिलती है।
स्वीडन के साइंस जर्नलिस्ट उलरिका बीजोरक्सटेन ने कहा, एमआरएनए वैक्सीन तकनीक विकसित करने के लिए नोबेल पुरस्कार नहीं देना एक भूल होगी। अन्य वैज्ञानिकों ने यहां तक कहा है कि कोविड रोधी टीका बनाने वालों को नोबेल पुरस्कार मिलना पक्का है, भले ही इस साल का पुरस्कार नहीं मिल पाए। इन वैज्ञानिकों के मुताबिक कोरोना रोधी टीका विकसित करने वाले वैज्ञानिकों के काम को पहचान मिलना तय है। एमआरएनए तकनीक आधारित टीके ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में क्रांति ला दी है।
एम-आरएनए टीका विकसित करने में कैटलिन कारिको और प्रोफेसर ड्रू वीजमैन का विशेष योगदान है। कैटलिन कारिको बायोएनटेक की जर्मनी स्थित कंपनी में वाइस चेयरमैन हैं। इनकी जिस रिसर्च के कारण टीके का निर्माण संभव हो सका, उसे पहले खारिज कर दिया गया था। हंगरी में जन्मीं कारिको को डीमोशन का भी सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अमेरिका में पेंसिलवानिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ड्रू वीजमैन ने मेसेंजर राइबोन्यूक्लिक एसिड (एमआरएनए) टीके को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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