India News (इंडिया न्यूज), East Asia Summit: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लाओस की राजधानी वियनतियाने में आयोजित पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए दक्षिण चीन सागर से गुजरने वाली संचार लाइनों की सुरक्षा जरूरी है। वर्तमान में ये चिंताजनक स्थिति में हैं। इनकी सुरक्षा की जानी चाहिए। पूर्वी एशियाई देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में जयशंकर ने कहा कि दक्षिण चीन सागर से गुजरने वाली संचार लाइनों की सुरक्षा के लिए आचार संहिता बनाई जानी चाहिए। दरअसल, चीन के दावे के कारण यह समुद्री क्षेत्र पिछले दस वर्षों से हिंद और प्रशांत क्षेत्र के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। चीन अक्सर इस समुद्री क्षेत्र में आवाजाही को लेकर पड़ोसी देशों से भिड़ जाता है।

जयशंकर ने क्या कहा?

एस जयशंकर ने कहा कि ईएएस प्रक्रिया 2025 में 20 साल पूरे कर लेगी। भारत ईएएस को मजबूत बनाने में अपना योगदान देता रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत ने दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के संगठन आसियान को प्रभावी बनाने के लिए लगातार उसका समर्थन किया है। दक्षिण चीन सागर से गुजरने वाली संचार लाइनों के बारे में जयशंकर ने कहा कि ये लाइनें हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति, स्थिरता, प्रगति और विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये न केवल क्षेत्र के बंदरगाहों को जोड़ती हैं बल्कि नौसेनाओं के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। इन लाइनों की सुरक्षा के लिए आचार संहिता बनाई जानी चाहिए और अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन किया जाना चाहिए। इसमें सभी देशों के हित शामिल हैं।

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चीन के विदेश मंत्री भी थे मौजूद

भारतीय विदेश मंत्री ने यह बात तब कही जब शिखर सम्मेलन में चीन के विदेश मंत्री वांग यी भी मौजूद थे। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर दक्षिण चीन सागर की भौगोलिक स्थिति के कारण इस पर चीन का दावा अंतरराष्ट्रीय संघर्ष का कारण बन रहा है। हिंद और प्रशांत महासागरों के बीच स्थित दक्षिण चीन सागर पूर्वी एशिया के देशों को बाकी दुनिया से जोड़ने वाले समुद्री मार्ग में आता है। इसलिए दक्षिण-पूर्व एशिया के देश इस मार्ग पर यातायात को सुचारू रखने के लिए चीन के साथ समझौता करना चाहते हैं। लेकिन चीन फिलहाल इसके लिए तैयार नहीं है। शिखर सम्मेलन में जयशंकर ने गाजा पट्टी में तनाव कम करने और संयम बरतने की आवश्यकता भी जताई।

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