इंडिया न्यूज, New Delhi News। Taiwan China Conflict : अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने कुछ समय पहले चीन के एतराज के बावजूद भी ताइवान का दौरे किया था। जिसके बाद से चीन काफी आक्रोश में दिखाई दे रहा है। चीन ने अपना गुस्सा दिखाने के लिए ताइवान स्ट्रेट के समीप सैन्य अभ्यास छेड़ दिया था जो अभी भी जारी है। इस सैन्य अभ्यास का असर न केवल ताइवान और जापान पर पड़ा है, बल्कि इसकी आंच आसियान देशों तक पहुंच रही है।
वहीं अब चीन के इस सैन्य अभ्यास के खिलाफ आसियान देशों ने भी मोर्चा खोल दिया है। आसियान देश चीन के खिलाफ खड़े होते हैं तो हिंद प्रशांत क्षेत्र में ड्रैगन एकदम अलग-थलग पड़ जाएगा। विशेषज्ञों की मानें तो चीन के इस सैन्य अभ्यास से आसियान देशों पर कई तरह का असर हुआ है। आइए जानते हैं विशेषज्ञों की राय।
विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि अमेरिकी सीनेट की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर जिस तरह की प्रतिक्रिया चीन ने दी है, वह आसियान देशों के लिए खतरे की घंटी है। प्रो पंत ने कहा कि इससे आसियान देशों में असुरक्षा की भावना बढ़ी है।
आसियान देशों के विदेश मंत्रियों ने भी अमेरिकी नेता नैंसी पेलोसी की यात्रा के बाद ताइवान द्वीप के समीप चीनी सैन्य अभ्यास की कड़ी निंदा की है। आसियान देशों ने कहा कि नैंसी की यात्रा शांतिपूर्ण था। ऐसे में चीनी सेना द्वारा सैन्य अभ्यास कतई जायज नहीं था।
यही कारण है कि जापान के समीप चीन की मिसाइल गिरने के बाद अमेरिका ने कहा है कि वह जापान के साथ मजबूती से खड़ा है। उन्होंने कहा कि चीन के इस कदम से आसियान देशों में नाराजगी बढ़ी है, यह चीन के लिए शुभ संकेत नहीं है।
उन्होंने कहा कि चीन के इस सैन्य अभ्यास के बाद जापान ने इसकी कड़ी निंदा की है और कहा है कि अब वक्त आ गया है कि चीनी धमकियों के खिलाफ मजबूती से खड़ा हुआ जाए। उन्होंने कहा कि ताइवान को लेकर अब चीन से पीड़ित राष्ट्र तेजी से एकजुट होंगे। यह चीन के लिए खतरनाक है।
खासकर तब जब चीन हिंद प्रशांत क्षेत्र और दक्षिण चीन सागर में अपने वर्चस्व को बढ़ाना चाहता है। उन्होंने कहा कि भविष्य में चीन के खिलाफ मोर्चेबंदी तेज हो सकती है। ऐसी स्थिति में वह पूरे क्षेत्र में अलग-थलग पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि चीन की सेना ने ताइवान से महज सौ किलोमीटर दूर सैन्य अभ्यास किया। जापान के बाहरी दक्षिणी द्वीपों के समीप चीन का सैन्य अभ्यास जापान के लिए भी चिंता का सबब बन गया है।
उन्होंने कहा कि चीन की सेना जापान के जिन द्वीपों के निकट सैन्य अभ्यास कर रहा है, उनमें योनागुनी, जो ताइवान से सिर्फ 100 किमी की दूरी पर है, और सेनकाकस शामिल है। उन्होंने कहा कि सेनकाकस एक ऐसा द्वीप है जो जापान द्वारा शासित होता है।
वहीं इस द्वीप पर ताइवान और चीन दोनों ही दावा करते रहे हैं। जापान के रक्षा मंत्री नोबुओ किशी ने देश के विशेष आर्थिक क्षेत्र में गिरी चीनी मिसाइलों की कठोर शब्दों में निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह जापान की राष्ट्रीय सुरक्षा और जापानी लोगों के जीवन के लिए खतरा है।
हाल में यूक्रेन में रूसी हमले के बाद देश का हाल देख दुनिया के सभी देश ताइवान को लेकर चिंतित हैं और इसके प्रति समर्थन व्यक्त कर रहे हैं। आसियान देशों ने ताइवान की खाड़ी में चल रहे तनाव पर चिंता जाहिर की है। पालिसी रिसर्च ग्रुप ने कहा कि 27 देशों की मीटिंग के दौरान आसियान देशों ने चेताया था कि जंग के दुष्परिणामों के बारे में अभी बताया नहीं जा सकता है।
इन देशों ने बीजिंग से अपील की कि वह जितना अधिक हो सके संयम बरते। इस मीटिंग में चीन भी शामिल था। रिपोर्ट के अनुसार आसियान देशों से इस बात की चीन को उम्मीद नहीं थी और इसके बाद चीन के विदेश मंत्री तुरंत मीटिंग से निकल गए।
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