India News (इंडिया न्यूज), Bangladesh violence: बांग्लादेश में जहाँ एक तरफ हालात सामान्य देखने को मिल रहे हैं वहीं दूसरी तरफ, वहां के हिन्दुओं को हिंसा ना करके अब किसी और तरह से निशाना बनाया जा रहा है। जैसे कि आप सभी जानते हैं की बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के वतन छोड़ कर भागने के बाद बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ जमकर हिंसा हुई, वहां के अल्पसंख्यक विशेषकर हिन्दुओं को टारगेट बनाया गया। लगातार हत्या के मामले सामने आए इतना ही नहीं बल्कि हिन्दू महिलाओं के साथ दुष्कर्म भी किया गया।
- हज़ार वादे करके भी हिन्दुओं की रक्षा नहीं कर पाए मोहम्मद यूनुस
- हिन्दुओं पर अब इस तरह किया जा रहा अत्याचार
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हज़ार वादे करके भी हिन्दुओं की रक्षा नहीं कर पाए मोहम्मद यूनुस
शेख हसीना के भारत आने के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी। मोहम्मद यूनुस ने शेख हसीना को टारगेट करते हुए बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों से कई बड़े वादे किए जैसे कि उनका कहना था कि वो प्रदेश की स्थति सामान्य बना देंगे, वहां पर हो रहे हिन्दुओं पर हिंसा को रुकवा देंगे, ऐसे और भी कई बड़े वादे मोहम्मद यूनुस ने किए। हलाकि पिछले हफ्ते हिंदुओं के घरों, पूजा स्थलों पर हमलों में काफी कमी आई है, लेकिन फिर भी छोटी मोटी हिंसा की खबरे सामने आ रही हैं।
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लेकिन मोहम्मद यूनुस की इन सभी कोशिशों के बावजूद भी लगातार बांग्लादेश में हिन्दुओं को निशाना बनाया जा रहा है। दरअसल, अब हिंदुओं की सरकारी नौकरियों पर हिंसा करने वाले लोग हावी हो गए हैं और बांग्लादेश के हिन्दुओं से अब जबरन सरकारी नौकरी छीनने की कोशिश की जा रही है, उनसे जबरदस्ती इस्तीफा लिया जा रहा है। इसकी वजह से हिंदू समुदाय दुबारा वहां के लोगो के अत्याचार से गुज़र रहे हैं। जैसा की आप सभी जानते हैं कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक हैं और उनकी आबादी केवल 8 फीसदी है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण संबंधित फैसले के बाद बांग्लादेश में हिंसा फैल गई थी और कम से कम 650 लोगों की जान चली गई थी। शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर भारत आना पड़ा था।
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हिन्दुओं पर अब इस तरह किया जा रहा अत्याचार
बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू ,बौद्ध ,ईसाई और ओइक्या परिषद के महासचिव राणा दासगुप्ताका कहना है कि “वहां के अल्पसंख्यक अच्छी स्थिति में नहीं हैं और उनकी चिंताएं अभी खत्म नहीं हुई हैं।” उन्होंने सीधाआरोप लगाया कि अल्पसंख्यकों के सदस्यों को सरकारी कार्यालयों और कॉलेजों तथा स्थानीय सरकारी संस्थाओं के सदस्यों से इस्तीफा देने के लिए जबरदस्ती मजबूर किया जा रहा है। दासगुप्ताजानकारी देते हुए कहा कि, “जबरन इस्तीफा देने की प्रक्रिया शनिवार को शुरू हुई और कुछ स्थानों पर स्कूलों, विश्वविद्यालयों और नगर निगमों में अब भी जारी है।” उन्होंने कहा कि शनिवार को दोपहर 12 बजे से 3.20 बजेतक उनको लगातार ऐसे जबरदस्ती इस्तीफे देने के बारे में कई फोन कॉल आय ।ये सब जाने के बाद कहा जा सकता है कि मोहम्मद यूनुस अब भी बांग्लादेश के हिन्दुओं को न्याय नहीं दिला पाए और ना ही उन पर हो रही हिंसा को रोक पाए ।
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