इंडिया न्यूज, वाशिंगटन (FBI Disclosed): अमेरिका की खुफिया एजेंसी एफबीआई ने चीन को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं जिसके बाद दुनियाभर में तनाव बढ़ गया है। एफबीआई ने अलर्ट करते हुए कहा है कि चीनी कंपनी हुआवेई के संचार उपकरण उन संदेशों को प्रभावित कर सकते हैं जो परमाणु बम के इस्तेमाल को लेकर भेजे जाते हैं। यानि कि ये उपकरण अमेरिकी परमाणु बमों को फेल करने की क्षमता रखते हैं।
एफबीआई ने कहा है कि ये जासूसी उपकरण अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के अत्यंत प्रतिबंधित गोपनीय संदेशों को पकड़ सकते हैं और उन्हें प्रभावित कर सकते हैं। इनमें वो संदेश भी शामिल हैं, जो परमाणु बम की देखरेख करने वाली अमेरिकी स्ट्रैटेजिक कमांड की तरफ से भेजे जाते हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन की हुआवेई कंपनी द्वारा निर्मित ये उपकरण अमेरिकी सैन्य प्रतिष्ठान के करीब हैं और इनके बारे में सबको पता है। इससे चिंता बढ़ गई है। इतना ही नहीं, बीते एक दशक में अमेरिका में चीनी जासूसी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, कम से कम साल 2017 से संघीय अधिकारी महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के पास चीनी भूमि खरीद की जांच कर रहे हैं। इसी के मद्देनजर एक हाई-प्रोफाइल क्षेत्रीय वाणिज्य दूतावास को बंद किया गया है। इस मामले में अमेरिकी सरकार ने आरोप लगायाहै कि ये जगह चीनी जासूसों और पत्थर की उन दीवारों का केंद्र है, जिसके केंद्र में उन्होंने सुनने वाले उपकरण लगाने की कोशिशों के निशान देखे हैं।
वहीं एफबीआई ने सबसे चौंकाने वाली चीजों का खुलासा किया है। इसमें ग्रामीण मिडवेस्ट में अमेरिकी सैन्य ठिकानों के पास सेल टावरों के ऊपर चीनी निर्मित हुआवेई उपकरण शामिल हैं। एफबीआई के मुताबिक ये डिवाइस अत्यधिक प्रतिबंधित रक्षा विभाग के संचार को कैप्चर कर सकते हैं और इंटरसेप्ट करने में सक्षम थे, जिसमें अमेरिकी स्ट्रैटेजिक कमांड द्वारा किया जाने वाला संचार भी शामिल है। इसका काम परमाणु हथियारों का रखरखाव करना होता है।
इस मामले में कई सूत्रों ने बताया कि हुवावे के उपकरण न केवल कमर्शियल सेल ट्रैफिक को इंटरसेप्ट कर सकते हैं बल्कि सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाली प्रतिबंधित एयर वेव्स को भी रोक सकते हैं। इससे महत्वपूर्ण अमेरिकी सामरिक कमांड संचार बाधित हो जाएगा। इस मामले की जांच संबंधी जानकारी रखने वाले पूर्व एफबीआई अधिकारी का कहना है कि ‘यह वो सबसे संवेदनशील चीज है, जिसे हम कर रहे हैं।’ यह परमाणु बमों को कमांड और नियंत्रित करने की हमारी क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।
खुफिया एजेंसी को ऐसे किसी मामले का पता चला है या नहीं कि क्या वास्तव में कोई डाटा इंटरसेप्ट किया गया था और इन टावरों के जरिए उन्हें बीजिंग यानी कि चीन के पास भेजा गया था। इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों का कहना है कि तकनीकी दृष्टिकोण से यह साबित करना कठिन है कि डाटा को चोरी कर विदेश भेजा गया है।
चीनी उपकरणों को लेकर जांच चल रही है। इन उपकरणों से संबंधित और खुलासों को की जानकारी अभी सांझा नहीं की गई है। लेकिन इन उपकरणों को लेकर माना जा रहा है कि इनकी शुरूआत पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा प्रशासन के समय से हुई है। लेकिन अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।
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