India News (इंडिया न्यूज़), Repair Bonous, दिल्ली: आमतौर पर लोग फटे या पुराने हो चुके कपड़ों और जूतों का इस्तेमाल करना बंद कर देते हैं या तो उस कूड़े में फेंक देते है। लेकिन ऐसा करना पर्यावरण के लिए अच्छा नहीं होता। क्योंकि लेदर के बने जूते और कई कपड़ो को मिट्टी में मिलने में काफी समय लगता है। अब फ्रांस की सरकार लोगों को ऐसा नहीं करने के लिए कह रही है। सरकरा कपड़ों की बर्बादी को रोकने के लिए अक्टूबर से नई योजना लेकर आने वाली है।
- सिलवाने के लिए मिलेंगे पैसे
- 7 लाख टन कपड़े बर्बाद होते है
- प्रदूषण का एक बड़ा कारण
लोगों को कपड़ों और जूतों की मरम्मत कराने के लिए बोनस देने के लिए योजना है। इसे रिपेयर बोनस नाम दिया है। फ्रांस की जूनियर इकोलॉजी मिनिस्टर बेरांगरे कुइलार्ड के अनुसार, देश में हर साल 7 लाख टन कपड़े फेंके जाते है। इसमें से दो-तिहाई लैंडफिल में चला जाता है। इससे पर्यावरण को भी नुकसान होता है। मंत्री जी पेरिस के फैशन हब में यह बोल रही थी।
कितने पैसे मिलेंगे?
सरकार की ओर से लोगों को हर जूते की मरम्मत के लिए 7.7 यूरो (लगभग 710 रुपये) और कपड़ों की मरम्मत के लिए 900 से 2300 रुपये की सहायता दी जाएगी। सरकार ने इस स्कीम के लिए अगले पांच सालों में 154 मिलियन यूरो (यानी लगभग 1420 करोड़ रुपये) खर्ज करने का बजट बनाया है। सरकार ने रिफैशन ग्रुप को रिपेयरिंग का काम सौंपा गया है।
प्रदूषण का बड़ा कारण
कुइलार्ड ने कहा कि पूरी दुनिया में हर साल 100 अरब से अधिक कपड़ा बेचा जाता ह।. फ्रांस में यह आंकड़ा प्रति व्यक्ति 10.5 किलो है। ऐसे में फास्ट फैशन ट्रेंड के खिलाफ लड़ने के लिए फ्रांस सरकार की रिपेयर बोनस स्कीम एक बड़े प्रयास का हिस्सा है। कपड़ा उद्योग प्रदूषण के सबसे बड़े सोर्स में से एक है।
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