इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : भारत गुरुवार यानि 1 दिसंबर 2022 से एक साल की अवधि के लिए G-20 की अध्यक्षता करेगा। इस मौके पर देशभर में फैले यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल समेत केंद्र सरकार द्वारा संरक्षित 100 स्मारकों को सप्ताह भर के लिए रोशनी से जगमग किया जाएगा।
आपको जानकारी दें, जी-20 भारत के लिए एक ऐसा मौका है, जहाँ वह क्लाइमेट चेंज, फाइनेंस और स्टार्टअप्स के एजेंडे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे आगे लाने की कोशिश कर रहा है। भारत जी-20 में संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत, विविधता और 75 वर्षों की अपनी उपलब्धियों और प्रगति को भी पेश करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसको लेकर बुधवार को अपने ब्लॉग में लिखा
आज भारत अपनी G-20 अध्यक्षता शुरू कर रहा है। जी-20 की पिछली 17 अध्यक्षताओं के दौरान आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने, अंतरराष्ट्रीय कराधान को तर्कसंगत बनाने और विभिन्न देशों के सिर से कर्ज के बोझ को कम करने समेत कई महत्वपूर्ण परिणाम सामने आए। हम इन उपलब्धियों से लाभान्वित होंगे और यहाँ से बहुत आगे बढ़ेंगे। अब, जबकि भारत ने इस महत्वपूर्ण पद को ग्रहण किया है, मैं खुद से यह पूछता हूँ कि क्या जी-20 अब भी और आगे बढ़ सकता है? क्या हम समग्र मानवता के कल्याण के लिए मानसिकता में मूलभूत बदलाव को उत्प्रेरित कर सकते हैं? मेरा विश्वास है कि हम ऐसा कर सकते हैं।”
टीकों की जमाखोरी वाली मानसिकता पर पीएम ने जताई चिंता
पीएम मोदी ने आगे लिखा, “हमारी परिस्थितियाँ ही हमारी मानसिकता को आकार देती हैं। पूरे इतिहास के दौरान मानवता अभाव में रही। हम सीमित संसाधनों के लिए लड़े, क्योंकि हमारा अस्तित्व दूसरों को उन संसाधनों से वंचित कर देने पर निर्भर था। विभिन्न विचारों, विचारधाराओं और पहचानों के बीच टकराव और प्रतिस्पर्धा आदर्श बन गए। दुर्भाग्य से, हम आज भी उसी शून्य-योग की मानसिकता में अटके हुए हैं।”
प्रधानमंत्री ने जोर देकर सवालिया लहजे में लिखा कि आखिर विभिन्न देश या क्षेत्र संसाधनों के लिए आपस में लड़ते क्यों हैं। आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को हथियार बनाए जाने पर उन्होंने आश्चर्य जताया। कुछ लोगों द्वारा टीकों की जमाखोरी और अरबों लोग का बीमारी से असुरक्षित रखे जाने पर उन्होंने सवाल खड़े किए।
मोदी ने ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का दिया मंत्र
प्रधानमंत्री अपनी बात को जारी रखते हुए कहते हैं कि कुछ लोग यह तर्क दे सकते हैं कि टकराव और लालच मानवीय स्वभाव है। लेकिन वह इस बात से असहमत हैं। उनका कहना है, “भारत की जी-20 की अध्यक्षता दुनिया में एकता की इस सार्वभौमिक भावना को बढ़ावा देने की ओर काम करेगी। इसलिए हमारी थीम ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ (One Earth, One Family, One Future) है। यह सिर्फ एक नारा नहीं है। यह मानवीय परिस्थितियों में उन हालिया बदलावों को ध्यान में रखता है, जिनकी सराहना करने में हम सामूहिक रूप से विफल रहे हैं।”
पीएम मोदी ने बल देकर कहा कि आज दुनिया के पास सभी लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त उत्पादन के साधन हैं। अपने अस्तित्व के लिए लड़ने की जरूरत को उन्होंने नकार दिया। जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और महामारी जैसी बड़ी चुनौतियों का जिक्र कर उन्होंने लिखा कि इन सबका समाधान आपस में लड़कर नहीं, बल्कि मिल कर काम करके ही निकाला जा सकता है।
‘भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को एक आर्थिक शक्ति बताते हुए कहा “भारत सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। हमने ऐसी डिजिटल जन उपयोगिताएँ निर्मित करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया है, जो खुली और समावेशी हैं। इनके कारण सामाजिक सुरक्षा, वित्तीय समावेशन और इलेक्ट्रॉनिक भुगतान जैसे विविध क्षेत्रों में क्रांतिकारी प्रगति हुई है।”
जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत क्या-क्या करेगा, इसका एक रोडमैप उन्होंने दिया। इसके तहत उन्होंने बताया कि भारत के अनुभव, ज्ञान और प्रारूप को दूसरों के लिए, विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए संभावित टेम्पलेट के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि जी-20 प्राथमिकताओं को न केवल भारत बल्कि जी-20 के अन्य भागीदारों, साथ चलने वाले देशों, जिनकी बातें अक्सर अनसुनी कर दी जाती है, उनके परामर्श से निर्धारित किया जाएगा।
‘भारत का जी20 एजेंडा समावेशी, महत्त्वाकांक्षी’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह परिवार के भीतर सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए खाद्य, उर्वरक और चिकित्सा उत्पादों की वैश्विक आपूर्ति को गैर-राजनीतिक बनाने की कोशिश करेंगे, ताकि भू-राजनीतिक तनाव मानवीय संकट का कारण न बने। उनके मुताबिक, जैसा हमारे अपने परिवारों में होता है, जिनकी जरूरतें सबसे ज्यादा होती हैं, हमें उनकी चिंता सबसे पहले करनी चाहिए, वैसी ही सोच जी-20 के लिए भी होगी। उनके अनुसार भारत का जी-20 एजेंडा समावेशी, महत्त्वाकांक्षी, कार्रवाई-उन्मुख और निर्णायक होगा।
अंत में अपनी बात को समाप्त करते हुए पीएम मोदी ने कहा“आइए, हम भारत की जी-20 अध्यक्षता को संरक्षण, सद्भाव और उम्मीद की अध्यक्षता बनाने के लिए एकजुट हों।आइए, हम मानव-केंद्रित वैश्वीकरण के एक नए प्रतिमान को स्वरूप देने के लिए मिलकर काम करें।”