India News (इंडिया न्यूज), Gaza War: हमास और इजरायल के बीच गाजा में पिछले साल 7 अक्टूबर को शुरू हुए युद्ध को रोकने के लिए मिस्र, अमेरिका, सऊदी अरब समेत कई देश लगातार प्रयास कर रहे हैं। वहीं अब इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने एक ऐसा शर्त रखा है। जिससे संघर्ष विराम में मुश्किलें बढ़ा दी हैं। हालांकि, इस बार सऊदी अरब भी इजरायल की इस शर्त के खिलाफ हो गया है और साथ ही सऊदी ने मुस्लिम देश मिस्र का पूरा साथ दिया है।दरअसल, इजरायल ने गाजा संघर्ष विराम के लिए कुछ शर्तें रखी हैं। जिसमें वह गाजा-मिस्र सीमा पर फिलाडेल्फिया कॉरिडोर में अपने सैनिकों की तैनाती की मांग कर रहा है। पीएम नेतन्याहू का कहना है कि हमास ने 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमले के लिए गाजा-मिस्र फिलाडेल्फिया कॉरिडोर पर मौजूद सुरंग के जरिए हथियार हासिल किए थे। इसीलिए उस कॉरिडोर पर हमारी तैनाती जरूरी है।
सऊदी ने किया मिस्र का समर्थन
बता दें कि, सऊदी अरब ने इजरायल की इस शर्त के खिलाफ खड़ा हो गया है। सऊदी अरब ने गाजा-मिस्र कॉरिडोर पर अपने सैनिकों को तैनात करने की इजरायल की शर्त की खुलकर निंदा की है। साथ ही सऊदी अरब ने कहा कि इस मामले में सऊदी अरब मिस्र के साथ है। सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान जारी कर इजरायल की शर्त की कड़ी निंदा की। दरअसल, गाजा-मिस्र के बीच फिलाडेल्फिया कॉरिडोर दक्षिणी गाजा पर मौजूद है। जिसके बारे में सऊदी ने कहा कि फिलाडेल्फिया कॉरिडोर पर इजरायल द्वारा अपने सैनिकों को तैनात करने की बात बिल्कुल निराधार है, इसके पीछे कोई तर्क नहीं है।
मिस्र ने शर्त मानने से किया मना
मिस्र भी अब इजरायल की इस शर्त के खिलाफ नजर आ रहा है। मिस्र ने साफ तौर पर कहा है कि वह कॉरिडोर पर अपने सैनिकों को भेजने की इजरायल की शर्त को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करेगा। साथ ही मिस्र ने कहा कि इजरायल यह तर्क दे रहा है कि हमास ने कॉरिडोर पर बनी सुरंग से हथियार हासिल किए। ऐसा नहीं है, क्योंकि मिस्र ने बहुत पहले ही सभी सुरंगों को बंद कर दिया है। हमास ने भी इजरायल की इन शर्तों को मानने से इनकार कर दिया है। हमास का कहना है कि इजरायल ने ये शर्तें अब रखी हैं, इससे पहले उसने युद्ध विराम की ऐसी कोई शर्त नहीं रखी थी। हमास का कहना है कि अगर इजरायली सेना गाजा में तैनात रहती है तो यह गाजा में सैन्य कब्जे जैसा होगा।