स्थायी निवासी कार्ड के रूप में जाना जाता है ग्रीन कार्ड

इंडिया न्यूज, वाशिंगटन :

USA, GREEN CARD :

अमेरिका में स्थायी रूप से बसने का सपना देखने वालों के लिए ग्रीन कार्ड (GREEN CARD) पाने की राह आसान हो सकती है। एक नए विधेयक के वहां पारित होने से भारतीयों (Indians) सहित लाखों (Lacs) लोगों को पूरक शुल्क का भुगतान करके ग्रीन कार्ड हासिल करने में मदद मिल सकती है।

अमेरिका में ग्रीन कार्ड को आधिकारिक तौर पर स्थायी निवासी कार्ड के रूप में जाना जाता है। वहां प्रवासियों को जारी किया जाने वाले यह एक ऐसा दस्तावेज है, जो इस बात का प्रमाण है कि उन्हें स्थायी रूप से वहां रहने का विशेषाधिकार दिया गया है। बता दें कि अमेरिका में भारतीयों सहित लाखों लोग रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड का वर्षों का इंतजार कर रहे हैं। इसे अगर सुलह समझौता पैकेज में शामिल किया गया और कानून बनाया गया तो उन हजारों आईटी पेशेवरों को मदद मिलने की उम्मीद है जिन्हें लंबे समय से ग्रीन कार्ड का इंतजार है।

प्रतिनिधि सभा न्याय समिति ने बयान जारी कर कहा है कि रोजगार आधारित अप्रवासी आवेदक 5000 अमेरिकी डॉलर का पूरक शुल्क अदा कर स्थायी निवासी कार्ड हासिल कर सकता है। फोर्ब्स पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार ईबी-5 श्रेणी (प्रवासी निवेशक) के लिए शुल्क 50,000 डॉलर है। ये प्रावधान 2031 में समाप्त हो रहे हैं। एक परिवार आधारित प्रवासी के लिए जो अमेरिकी नागरिक द्वारा प्रायोजित है और जिसकी प्राथमिकता तिथि दो वर्ष से अधिक है, उन्हें ग्रीन कार्ड हासिल करने के लिए 2500 डॉलर का भुगतान करना होगा।

1500 अमेरिकी डॉलर होगा पूरक शुल्क

प्रतिनिधि सभा न्याय समिति के बयान के अनुसार अगर आवेदक की प्राथमिकता तिथि दो साल के भीतर नहीं है लेकिन उसका देश में उपस्थित रहना जरूरी है तो उन्हें 1500 अमेरिकी डॉलर का बतौर पूरक शुल्क भुगतान करना होगा। यह आवेदक द्वारा भुगतान किए गए किसी भी प्रशासनिक प्रसंस्करण शुल्क के अतिरिक्त होगा।

कानून बनने से पहले ये विभाग करेंगे पास

हालांकि विधेयक में कानूनी आव्रजन प्रणाली में स्थायी संरचनात्मक परिवर्तन शामिल नहीं हैं, जिसमें ग्रीन कार्ड के लिए एच-1बी वीजा का वार्षिक कोटा बढ़ाना और देशों के लिए सीमा का प्रावधान है। इस विधेयक के कानून बनने से पहले प्रावधानों को न्यायपालिका समिति, प्रतिनिधि सभा और सीनेट को पारित करना होगा और फिर राष्ट्रपति को इस पर हस्ताक्षर करना होगा।

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