India News (इंडिया न्यूज), Why Can’t Hindu Go To Mecca: मक्का और मदीना मुस्लिम धर्म के सबसे पवित्र स्थल माना जाता हैं और इन स्थानों पर केवल मुसलमानों को ही प्रवेश की अनुमति है। यह प्रतिबंध धार्मिक, ऐतिहासिक और सुरक्षा कारणों से लगाया गया है।
जाने इसके पीछे की धार्मिक कारण
काबा की पवित्रता: मक्का में स्थित काबा इस्लाम में सबसे पवित्र स्थान है। मुसलमानों का मानना है कि यह वो स्थान है, जहां पैगंबर मुहम्मद का जन्म हुआ था और यहीं से उन्होंने अपना पहला उपदेश दिया था। बता दें कि हज और उमराह इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक हैं और यह एक धार्मिक कर्तव्य है, जिसे हर मुसलमान को अपने जीवन में कम से कम एक बार करना होता है।
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख: मक्का और मदीना की पवित्रता का उल्लेख कुरान और हदीस में किया गया है और इन स्थानों को केवल मुसलमानों के लिए आरक्षित रखने के निर्देश दिए गए हैं।
इस्लाम का ऐतिहासिक कारण
इस्लाम का इतिहास: मक्का और मदीना इस्लाम के शुरुआती दिनों से ही मुस्लिम समुदाय के लिए पवित्र स्थान रहें हैं। इन स्थानों पर गैर-मुसलमानों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने की परंपरा सदियों पुरानी है।
सुरक्षा कारण
हज तीर्थयात्री: हर साल लाखों मुसलमान हज और उमराह के लिए मक्का और मदीना जाते हैं। इतनी बड़ी संख्या में लोगों को संभालने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि केवल मुसलमानों को ही इन स्थानों पर प्रवेश की अनुमति दी जाए।
धार्मिक भावनाएं: मक्का और मदीना मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं से जुड़े हुए हैं। गैर-मुसलमानों के प्रवेश से इन भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है और सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है।
गलतफहमियां
मूर्ति पूजा की सज़ा: यह कहना गलत है कि मूर्ति पूजा की सज़ा मौत है। सऊदी अरब में भी कानून हैं और किसी भी अपराध की सज़ा कानून के हिसाब से तय की जाती है।
सभी को मुसलमान बनने के लिए कहा जाता है: यह भी गलत है कि सभी को मुसलमान बनने के लिए कहा जाता है। इस्लाम धर्म की स्वतंत्रता का समर्थन करता है और किसी को भी धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
इस जगह पर क्यों नहीं जा सकते हिंदू?
इस्लाम में इन शहरों को सबसे पवित्र माना जाता है और यही वजह है कि यहां आने वालों के लिए कुछ खास नियम भी बनाए गए हैं। इनमें सबसे बड़ा नियम यह है कि इन शहरों में सिर्फ मुसलमान ही आ सकते हैं। किसी दूसरे धर्म के लोगों का यहां आना प्रतिबंधित है। इस नियम के पीछे की वजह और क्या शहर की सीमा में प्रवेश करना प्रतिबंधित है। इस बारे में जामिया मिलिया इस्लामिया के मुफ्ती साहब मोहम्मद हमजा ने एक रिपोर्ट में बताया है। मुफ्ती एक इस्लामी पद होता है। उन्होंने कुरान का हाफिज किया हुआ है, यानी उन्हें कुरान कंठस्थ है।
हर गैर-मुस्लिम को मक्का में प्रवेश है वर्जित
मुफ़्ती साहब के अनुसार, यह सिर्फ़ हिंदुओं के लिए नहीं है। उस जगह को इस्लाम में सबसे पवित्र स्थान माना जाता है और सभी गैर-मुस्लिमों को मक्का में प्रवेश वर्जित है। जी हां, आप मदीना में प्रवेश कर सकते हैं, लेकिन वहां भी शहर के कुछ हिस्से सिर्फ़ मुसलमानों के लिए प्रतिबंधित हैं। यानी अगर आप गैर-मुस्लिम हैं, तो आप मदीना शहर के कुछ हिस्सों में तभी जा सकते हैं, जब बहुत ज़रूरी हो।
गैर-मुस्लिम क्यों नहीं जा सकते?
सऊदी अरब में जिन देशों के दूतावास संचालित हैं, उन्हें भी अपने गैर-मुस्लिम नागरिकों को पवित्र शहर में प्रवेश करने से रोकने का निर्देश है। यह आपको जगह-जगह लगे बोर्ड पर भी लिखा हुआ दिखाई देगा। वहां मुस्लिम और गैर-मुस्लिमों के लिए अलग-अलग रास्ते हैं। दुनिया में सिर्फ दो शहरों मक्का और मदीना में ही ऐसा है।
इस्लाम के अनुसार, कुरान (अत-तवाब 9:28) में लिखा है कि जो लोग बहुदेववाद में विश्वास करते हैं, उन्हें मक्का शहर में जाने से मना किया जाता है। हालांकि, ईसाई और यहूदी बहुदेववाद में विश्वास नहीं करते, लेकिन उन्हें भी वहां जाने से मना किया जाता है।
मुफ्ती साहब के अनुसार, जब आप पवित्र शहर जाते हैं, तो आपको कई धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करना पड़ता है। यह कोई दर्शनीय स्थल या पर्यटन स्थल नहीं है, बल्कि ध्यान की जगह है, जहां लोग खुद को अल्लाह के करीब महसूस कर सकते हैं। अगर कोई मुस्लिम हज यात्रा पर जाता है, तो उसे हर नियम का पालन करना होता है, जिसमें एक जैसे कपड़े पहनना, वहां रहना, खाना-पीना और नमाज अदा करना शामिल है।
अगर कोई मुसलमान इस्लाम के नियमों के मुताबिक शुद्ध नहीं है तो उसका यहां आना भी वर्जित है। वैसे तो कुरान में सिर्फ मक्का के बारे में ही ऐसा लिखा है, लेकिन सुरक्षा कारणों से सऊदी सरकार ने मदीना की कुछ जगहों पर भी गैर-मुस्लिमों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रखा है।
अगर कोई गैर-मुस्लिम जाने की कोशिश करता है तो क्या होगा?
सऊदी में इसको लेकर सख्त नियम हैं। अगर कोई ऐसा करता है तो उस पर इस्लामिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लग सकता है और उसे सख्त कानूनी सजा मिल सकती है। इस मामले में सऊदी अरब से निर्वासन और आजीवन प्रतिबंध से लेकर गंभीर मामलों में भयानक सजा भी दी जा सकती है।