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अगर नहीं उठाए जरूरी कदम तो खत्म हो जाएगा दक्षिण कोरिया! मिट जाएगी 70% आबादी, वजह जान उड़ जाएंगे आपके होश

India News (इंडिया न्यूज), South Korea Birth Rate Declining : अगर हम आज के समय में टेक्नोलॉजी की बात करें तो इसमें दक्षिण कोरिया का भी नाम आएगा। दक्षिण कोरिया की एडवांस टेक्नोलॉजी का लोहा दुनिया के सभी देश मानते हैं। लेकिन ये देश फिलहाल एक अभूतपूर्व संकट से जूझ रहा है। असल में दक्षिण कोरिया की जन्मदर तेजी से घट रही है। यहां महिलाएं बच्चे पैदा नहीं करना चाहतीं और आर्थिक व सामाजिक दबाव घटती जन्मदर का कारण बनता जा रहा है। जानकारों के मुताबिक अगर ऐसा ही चलता रहा तो सदी के अंत तक दक्षिण कोरिया की आबादी अपने मौजूदा आकार के एक तिहाई तक सिमट सकती है। अनुमानों के मुताबिक, दक्षिण कोरिया की आबादी 52 मिलियन से घटकर मात्र 17 मिलियन रह जाएगी। इस समस्या की वजह से दक्षिण कोरिया अपनी 70 फीसदी आबादी को खो सकता है और यहां केवल 14 मिलियन लोग ही बच सकते हैं।

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परिवार नियोजन नीतियां बनी बड़ी समस्या

दक्षिण कोरिया की प्रजनन दर में मौजूदा गिरावट की सबसे बड़ी वजह सरकार द्वारा लागू की गई परिवार नियोजन नीतियां हैं। असल में शुरूआत के समय में यानी कि 1960 के दशक में वहां की सरकार ने इस बात को लेकर चींता जताई थी कि जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास से ज़्यादा हो रही है, इसलिए उसने जन्मदर को कम करने के उपाय किए। उस वक्त दक्षिण कोरिया की प्रजनन दर प्रति महिला 6 बच्चे के स्तर पर थी। सरकार ने ऐसी नीतियां लागू कीं कि1982 तक प्रजनन दर गिरकर 2.4 हो गई और अर्थव्यवस्था में उछाल आया। अगर ऐसा होता है तो दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था अस्थिर हो जाएगी और अभूतपूर्व सामाजिक चुनौतियां पैदा हो सकती हैं।

महिलाओं की बच्चा न करने के पीछे की वजह-

परिवार से ज्यादा करियर को प्राथमिकता।
पैरेंटिंग को महिला रोजगार में बाधा मानना।
एक तिहाई महिलाएं शादी नहीं करना चाहतीं।
काम व बच्चों की परवरिश को बोझ मानती हैं 93% महिलाएं।
घरेलू जिम्मेदारियों में अधिक समानता की मांग।

जन्मदर बढ़ाने के लिए उठाए गए कदम

इस समस्या से बचने के लिए दक्षिण कोरिया की सरकार ने उच्च जन्मदर को प्रोत्साहित करने के लिए नीतियां लागू की हैं। इसमें बच्चों की देखभाल के लिए विदेशी घरेलू कामगारों की भर्ती करना, कर लाभ प्रदान करना और यहां तक कि 30 वर्ष की आयु तक तीन या अधिक बच्चे होने पर पुरुषों को अनिवार्य सैन्य सेवा से छूट देने का प्रस्ताव करना। हालांकि, अब तक, इन उपायों का बहुत कम प्रभाव पड़ा है।

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Shubham Srivastava

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