India News (इंडिया न्यूज), IMF loan to Pakistan: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) इन दिनों चर्चा में है। कहा जा रहा है कि पड़ोसी देश एक बार फिर IMF के दरवाजे पर है। भारत से तनाव के बीच उसे और कर्ज की जरूरत है। IMF की ओर से पाकिस्तान के लिए 1 बिलियन डॉलर का कर्ज मंजूर किया गया है। पाकिस्तान से तनाव के बीच भारत ने कहा है कि वह पाकिस्तान की करतूतों को IMF के सामने रखेगा। अब लोगों के मन में यह सवाल गूंज रहा है कि इस कदम से भारत को क्या फायदा होने वाला है? इससे पाकिस्तान को क्या नुकसान होगा?
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) अपने सभी 191 सदस्य देशों को सतत विकास और समृद्धि हासिल करने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। यही इसका मुख्य एजेंडा है। IMF सदस्य देशों की उन आर्थिक नीतियों का समर्थन करता है जो वित्तीय स्थिरता और मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देती हैं और उत्पादन क्षमता, रोजगार सृजन, आर्थिक कल्याण के लिए जरूरी हैं। इसके मुख्य रूप से तीन उद्देश्य हैं।
IMF loan to Pakistan (पाकिस्तान को आईएमएफ लोन दिलाने में किसका हाथ)
यह संगठन अपने सदस्य देशों से उनकी क्षमता के हिसाब से एक तय शुल्क लेता है, जिसे कोटा कहते हैं। क्षमता से तात्पर्य उस देश की आर्थिक स्थिति, जीडीपी, विदेशी व्यापार आदि से है। कोटा इसी आधार पर तय होता है। सदस्यता लेते समय उस देश को यह कोटा देना होता है। आईएमएफ के फंड का यही मुख्य स्रोत है। इसके अलावा कर्ज पर मिलने वाले ब्याज से भी इसकी कमाई होती है। जरूरत पड़ने पर आईएमएफ ने फंड जुटाने के लिए कुछ और उपाय भी किए हैं। मसलन, आईएमएफ खुद भी कर्ज ले सकता है। यह कर्ज वह अमेरिका, जापान, जर्मनी समेत कम से कम तीन दर्जन से ज्यादा विकसित देशों से लेता है। इसे न्यू अरेंजमेंट टू बॉरो (एनएबी) कहते हैं। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर यह सदस्य देशों से भी कर्ज लेता है, जिसे द्विपक्षीय उधारी समझौते (बीबीए) कहते हैं।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, आईएमएफ में अमेरिका की हिस्सेदारी लगभग 16.5% है, जो इसे सबसे बड़ा शेयरधारक बनाता है। अमेरिका ने आईएमएफ में लगभग 117 बिलियन डॉलर का योगदान दिया है। अमेरिका के पास आईएमएफ में सबसे अधिक मतदान शक्ति भी है, जो 16.49% है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या अमेरिका ने भारत को धोखा दिया है? क्या IMF द्वारा पाकिस्तान को मिले लोन में अमेरिका की भूमिका है। अगर आईएमएफ में सबसे बड़ी हिस्सेदारी अमेरिका की है तो ये मुमकिन है कि, अमेरिका अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान की मदद की है। हालांकि इसकी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकती है। जब तक कि कोई सीधा एंगल न मिल जाए।