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पहले पकाए इंसानी बच्चे फिर मशीन समझ की ऐसी दरिंदगी…इस मुस्लिम देश से छूटी महिला ने सुनाई आप बीती?

Prachi Jain • LAST UPDATED : October 20, 2024, 4:15 pm IST

India News (इंडिया न्यूज), World News: यह कहानी यज़ीदी महिला फाजिया अमीन सिदो की पीड़ा और साहस का एक हृदयविदारक उदाहरण है। एक दशक से अधिक समय तक आतंकवादी संगठन आईएसआईएस (ISIS) के कब्जे में रही सिदो ने अपने अनुभव साझा करते हुए उन अत्याचारों के बारे में खुलासा किया, जिनसे उन्होंने और उनके जैसे अन्य हज़ारों यज़ीदी लोगों ने सामना किया।

यज़ीदी समुदाय पर आईएसआईएस का अत्याचार

2014 में, आईएसआईएस ने इराक़ और सीरिया के यज़ीदी समुदाय को निशाना बनाया। यज़ीदी धर्म को मानने वाले लोग आईएसआईएस के कट्टरपंथी इस्लामिक एजेंडे के कारण लंबे समय तक उत्पीड़ित रहे। अनुमान है कि इस नरसंहार में 5000 से अधिक यज़ीदी मारे गए और 10,000 से ज्यादा लोगों को बंधक बना लिया गया। इनमें से अधिकतर बंधक महिलाएं और बच्चे थे, जिन्हें सेक्स स्लेव, श्रमिक या अन्य अमानवीय परिस्थितियों में रखा गया।

फाजिया अमीन सिदो का अपहरण उस समय हुआ जब वह मात्र 11 साल की थीं। उनके साथ न केवल शारीरिक और मानसिक शोषण हुआ, बल्कि उन्हें उन परिस्थितियों में भी रखा गया, जो मानवीय मूल्यों की सीमा से परे थीं।

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आईएसआईएस का क्रूर आतंक

फाजिया ने फिल्म निर्माता एलन डंकन से बातचीत के दौरान बताया कि उन्हें नशीले पदार्थ दिए जाते थे और उनके साथ बार-बार बलात्कार किया जाता था। उन्होंने एक और भयानक घटना का खुलासा किया कि एक दिन, उन्हें और अन्य बंधकों को मारे गए बच्चों का मांस खिलाया गया। उन्होंने बताया कि कैद में उन्हें खाने के बाद अजीब स्वाद महसूस हुआ, और तब आईएसआईएस के आतंकियों ने उन्हें बताया कि वह मांस उन्हीं बच्चों का था, जिन्हें काटा गया था। यह सुनकर एक महिला को दिल का दौरा पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई।

कैद की भयावहता

फाजिया और अन्य बंधकों के लिए कैद में बिताया हर दिन भयावह था। उन्हें लगातार मानसिक और शारीरिक यातनाएं दी जाती थीं। उनकी पहचान, उनके धर्म और उनके परिवारों से उन्हें पूरी तरह से अलग कर दिया गया। सिदो के बयान से यह स्पष्ट होता है कि आईएसआईएस का मुख्य उद्देश्य न केवल इन लोगों का शारीरिक शोषण करना था, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से भी पूरी तरह से तोड़ देना था।

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रिहाई और पुनर्वास

हाल ही में, इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) और अमेरिकी दूतावास द्वारा एक मिशन के तहत सिदो को गाजा से बचाया गया। रिहा होने के बाद उन्होंने द सन को दिए इंटरव्यू में उन अत्याचारों के बारे में बात की, जिनका उन्होंने सामना किया। सिदो ने यह भी बताया कि उन्होंने कैसे इन दर्दनाक अनुभवों का सामना किया, जो आज भी उन्हें मानसिक रूप से परेशान करते हैं।

मानवता पर असर और सिदो की ताकत

यह घटना न केवल यज़ीदी समुदाय के लोगों के साथ किए गए अत्याचारों का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आतंकवादियों के सामने निर्दोष लोगों का जीवन कितना बेबस हो सकता है। फिर भी, सिदो जैसे लोग, जो इतने लंबे समय तक अपमान और यातना सहते रहे, मानवता और साहस का प्रतीक बने रहते हैं।

यह कहानी उन हज़ारों बंधकों और पीड़ितों की है, जो आतंकवाद के क्रूर पंजों में फंसे थे। उनका संघर्ष यह दिखाता है कि कितने अत्याचार और अमानवीय कृत्य अभी भी इस दुनिया में हो रहे हैं।

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फाजिया अमीन सिदो की आवाज़ उन पीड़ितों की आवाज़ है जो अब भी न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उनकी कहानी हमें यह याद दिलाती है कि मानवता की रक्षा और आतंकवाद का खात्मा हमारे समय की सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक है।

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