India News (इंडिया न्यूज), Anil Thakur, India- Canada Relation: कनाडा के प्रधानमंत्री को खालिस्तान प्रेम के चलते जस्टिन सिंह ट्रूडो भी कहा जाता है, ट्रूडो का खालिस्तान से लगाव तो जगजाहिर था लेकिन खालिस्तान के चक्कर में इस बार सारी हदें कनाडा के पीएम ने पार कर दीं और दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में से एक भारत के साथ पंगा मोल लिया। G-20 से लौटने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री ने संसद में जाकर बयान दिया कि खालिस्तान आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार के एजेंट हैं इसी बीच कनाडा की विदेश मंत्री ने कनाडा में भारत के टॉप डिप्लोमेट को निष्काषित करने का ऐलान कर दिया। भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए कनाडा के राजनयिक को पहले तो तलब किया और उसके बाद 5 दिन के अंदर भारत छोड़कर वापस कनाडा जाने की चेतावनी दे डाली।

खालिस्तानी आतंकियों के लिए खुलकर सहानुभूति

विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए जस्टिन ट्रूडो और वहां की विदेश मंत्री के बयान को खारिज कर दिया और कहा कनाडा में हिंसा की किसी भी घटना में भारत के शामिल होने का कानाडा का आरोप बेतुका है, ऐसे ही आरोप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने जस्टिन ट्रूडो ने लगाए थे जिन्हे उसी वक्त खारिज कर दिया था। भारत के बयान में कहा गया है कि हम लोकतांत्रिक देश हैं और जो कानून के प्रति प्रतिबद्ध हैं, कनाडा के आरोप खालिस्तानी आतंकियों से ध्यान भटकाने के लिए हैं जिन्हे कनाडा में शरण दी गई है। खालिस्तानी आतंकी लगातार भारत की संप्रभुता और क्षेत्रिय अखंडता के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। खालिस्तानी आतंकियों के लिए कनाडा की राजनैतिक हस्तियों ने खुलकर सहानुभूति जताई जाती है जो अफसोस जनक है। हम कनाडा की सरकार से वहां की जमीन पर काम कर रहे भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ तुरंत प्रभावी कार्रवाई की मांग करते हैं।

वोट बैंक के चलते खालिस्तान मजबूरी

कनाडा के पीएम के बयान ने भारत और कनाडा के बीच तल्खी बढ़ा दी है दरअसल कनाडा के पीएम और वहां के नेताओं का खालिस्तान समर्थन मजबूरी बन गया है क्योंकि 2025 में होने वाले चुनावों में वहां के प्रधानमंत्री और राजनैतिक पार्टियों को वहां बसे पंजाबियों के वोट चाहिए। कनाडा में बसने वालों पंजाबियों की संख्या साढ़े नौ लाख है और ये संख्या वहां कि जनसंख्या का 2.6 प्रतिशत है। 9.50 लाख पंजाबियों में 7.50 लाख से ज्यादा सिख हैं। कनाडा में लोकसभा की 338 कुल सीटें हैं और बहुमत के लिए 170 सीटों की जरूरत किसी भी दल को होती है। 2021 में हुए चुनावों में 17 ऐसी सीटें थी जिन पर भारतीय जीते थे और 17 में से 16 सांसद पंजाबी थे। 2021 के लोकसभा चुनाव में कुल 49 भारतीय उम्मीदवार मैदान में थे। 49 में से 35 कैंडिडेट पंजाब के रहने वाले थे, आठ ऐसी सीटें थी जिसमें पंजाबी ही पंजाबी के सामने चुनावी मैदान में था।

व्यापार पर होगा सीधा असर

भारत और कनाडा के बीच बढ़ती तल्खी से सिर्फ व्यापार पर ही नहीं बल्कि वहां पर रहने वाले लोगों पर भी खासा असर पड़ेगा। और सबसे ज्यादा संख्या पंजाबियों की है इन्ही पर सबसे ज्यादा असर होगा। दोनों देशों के बीच चालू वित्त वर्ष में 8 अरब डॉलर से ज्यादा का व्यापार अब तक हो चुका है और G-20 बीच बढ़ी तल्खी के बाद FTA यानि मुक्त व्यापार समझौते पर भी विराम लग गया है। ऐसे में अगर दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ता है तो फिर इसका सीधा असर कारोबार और नौकरियों पर होने वाला है।

कनाडा में पंजाबी किसान होंगे प्रभावित

इसके आलावा कनाडा में रहने वाले पंजाबी किसान भी इन बिगड़ते रिश्तों से प्रभावित होंगे। वहां की खेती और बागवानी से जुड़े उत्पाद भारत सप्लाई होते हैं और इसका फायदा वहां पर खेती करने वाले पंजाबियों को सीधा मिलता है।

छात्रों के भविष्य पर लटक सकती है तलवार

इस तल्खी का असर वहां पर अपनी पढ़ाई के लिए गए छात्रों पर भी होने वाला है पंजाब के करीब डेढ़ लाख से ज्यादा छात्र वहां पर स्टडी वीजा पर पढ़ने के लिए गए हुए हैं बढ़ते तनाव के बीच वहां की सरकार भारतीय छात्रों के लिए नियम कड़े भी कर सकती है जिसमें वीजा कैंसिल करना या फिर डिपोर्ट करना भी शामिल हो सकता है।

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