India News (इंडिया न्यूज), S Jaishankar Meets PM Shehbaz Sharif: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मंगलवार (15 अक्टूबर, 2024) को इस्लामाबाद में मुलाकात की है। शरीफ द्वारा आयोजित अनौपचारिक रात्रिभोज के दौरान नेताओं ने हाथ मिलाया और एक-दूसरे को शुभकामनाएं दीं। जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शासनाध्यक्षों की परिषद (सीएचजी) की 23वीं बैठक के लिए इस्लामाबाद में हैं। लगभग नौ वर्षों में यह पहली बार है कि कोई भारतीय विदेश मंत्री पाकिस्तान का दौरा कर रहा है, जबकि पाकिस्तान से उत्पन्न सीमा पार आतंकवाद को लेकर दोनों पड़ोसियों के बीच संबंध ठंडे बने हुए हैं। पाकिस्तान का दौरा करने वाली पिछली भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज थीं।
दोनों देश के विदेश मंत्री के बीच नहीं होगी द्विपक्षीय वार्ता
एस जयशंकर का विमान इस्लामाबाद के बाहरी इलाके में नूर खान एयरबेस पर दोपहर करीब साढ़े तीन बजे (स्थानीय समयानुसार) उतरा और वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारियों ने उनका स्वागत किया। पाकिस्तान में दो दिवसीय एससीओ शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के शीर्ष नेता शामिल हुए हैं और यह कड़े सुरक्षा उपायों के तहत हो रहा है। इस्लामाबाद और उसके पड़ोसी शहर रावलपिंडी में प्रमुख मार्ग और व्यवसाय बंद कर दिए गए हैं। भारत और पाकिस्तान दोनों ने ही एससीओ सरकार प्रमुखों के शिखर सम्मेलन के दौरान जयशंकर और उनके पाकिस्तानी समकक्ष इशाक डार के बीच किसी भी द्विपक्षीय वार्ता की संभावना को पहले ही खारिज कर दिया है।
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कौन-कौन सा देश इस सम्मेलन में हो रहा शामिल?
शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले एससीओ सदस्य देशों के नेताओं में चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग, बेलारूस के प्रधानमंत्री रोमन गोलोवचेंको, कजाकिस्तान के प्रधानमंत्री ओल्जास बेक्टेनोव, रूसी प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्तीन, ताजिक प्रधानमंत्री कोहिर रसूलजोदा, उज्बेक प्रधानमंत्री अब्दुल्ला अरिपोव, किर्गिस्तान के मंत्रिपरिषद के अध्यक्ष झापारोव अकीलबेक और ईरान के प्रथम उपराष्ट्रपति मोहम्मद रजा अरेफ शामिल हैं। जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा कई मायनों में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे भारत की ओर से एक महत्वपूर्ण निर्णय के रूप में देखा जा रहा है। हाल ही में एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में जयशंकर ने कहा, “किसी भी पड़ोसी की तरह, भारत निश्चित रूप से पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध रखना चाहेगा। लेकिन सीमा पार आतंकवाद को नजरअंदाज करके और इच्छाधारी सोच में लिप्त होकर ऐसा नहीं हो सकता।”
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