India News (इंडिया न्यूज), India joins Eurodrone Programme : यूरोप के मल्टीनेशनल यूरोड्रोन कार्यक्रम में भारत एक पर्यवेक्षक राष्ट्र के रूप में शामिल हो गया है। यह घोषणा ऑर्गनाइजेशन ऑफ ज्वाइंट आर्मामेंट कोऑपरेशन (OCCAR) ने की है। उसने अत्याधुनिक यूरोड्रोन मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस (MALE) रिमोटली पायलटेड एयर सिस्टम (RPAS) कार्यक्रम में भारत की भागीदारी का स्वागत किया है। जानकारों के मुताबिक इस प्रोग्राम में शामिल होने से भारतीय वायुसेना को सबसे ज्यादा फायदा होने की उम्मीद है। इसके अलावा यूरोप की स्टेट ऑफ ऑर्ट रक्षा तकनीक भी भारत को मिलने की संभावनाएं काफी ज्यादा हैं।

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क्या है यूरोड्रोन कार्यक्रम ?

इस प्रोजेक्ट की शुरूआत 2016 में हुई थी। यूरोड्रोन प्रोजेक्ट की अनुमानित मूल्य €7 बिलियन ($7.3 बिलियन) है। इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्पेन के चार यूरोपीय देश कर रहे हैं। इसके अलावा एयरबस, डसॉल्ट और लियोनार्डो जैसे प्रमुख उद्योग भागीदार इस परियोजना को आगे बढ़ा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य अमेरिकी MQ-9B रीपर जैसी गैर यूरोपीय सिस्टम पर यूरोप की निर्भरता को कम करना है। हालांकि, यूरोड्रोन कार्यक्रम में देरी और बढ़ती लागत की समस्या रही है।

भारत को इससे क्या फायदा होगा?

भारतीय वायुसेना इस वक्त लड़ाकू विमानों की कमी से झूझ रही है। यूरोड्रोन प्रोग्राम से सबसे ज्यादा फायदा भारतीय वायुसेना को होने की उम्मीद है। भारतीय वायुसेना पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रही है। इसमें इंजन की सप्लाई में आ रही देरी एक बहुत बड़ी समस्या है। भारत अभी तक खुद का जेट इंजन भी विकसित नहीं कर सका है। ऐसे में यूरोड्रोन जैसे कार्यक्रम के जरिए भारत यूरोपीय भागीदारों को साथ मिलकर विमानन क्षेत्र में लंबी छलांग लगा सकता है।

भारत के अलावा जापान भी यूरोड्रोन कार्यक्रम में पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल है। ऐसे में भारत अब जापान के बाद पर्यवेक्षक का दर्जा पाने वाला दूसरा एशिया-प्रशांत देश बन गया है। नवंबर 2023 में जापान के पर्यवेक्षक के रूप में प्रवेश के बाद, अगस्त 2024 में पर्यवेक्षक के दर्जे के लिए भारत का आवेदन प्रस्तुत किया गया था। इससे भारत को यूरोड्रोन के तकनीकी डेटा तक पहुंच और विमानों के लिए ऑर्डर देने की क्षमता बढ़ जाएगी।

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