India News (इंडिया न्यूज), India-Pakistan Rice Export: भारत और पाकिस्तान अक्सर एक दूसरे के विरोध में वैश्विक मंच पर खड़े नजर आते हैं। लेकिन इस बाद दोनों दुश्मन देशों ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिससे पूरी दुनिया खुश है। दरअसल, दोनों मुल्कों ने चावल का निर्यात फिर से शुरू कर दिया है। साथ ही निर्यात को बढ़ावा देने के लिए इस पर मूल्य सीमा भी खत्म कर दी गई है। इससे चावल की विभिन्न किस्मों की वैश्विक कीमतों में गिरावट आई है। भारत सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया है। भारत ने एक साल से भी पहले विदेशों में इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। इससे 2024 में फसल की पैदावार अधिक होने से घरेलू जरूरतों के लिए देश के गोदाम भर गए हैं।

पहले भारत फिर पाकिस्तान ने किया ऐलान

बता दें कि, भारत से एक दिन पहले पाकिस्तान ने चावल की सभी किस्मों के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) वापस लेने का ऐलान किया था। पाकिस्तान ने इस उपाय को 2023 में लागू किया। इसमें बासमती चावल के लिए 1,300 डॉलर प्रति मीट्रिक टन और गैर-बासमती चावल के लिए 550 डॉलर तय किए गए। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान का यह फैसला भारत द्वारा सितंबर में बासमती चावल के लिए 950 डॉलर प्रति मीट्रिक टन एमईपी हटाने से प्रभावित है।

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बासमती चावल को लेकर भारत-पाक प्रतिद्वंद्विता

दरअसल, भारत और पाकिस्तान ही दो ऐसे देश हैं जो बासमती चावल का उत्पादन करते हैं। इसे अपने अनोखे स्वाद और सुगंध के कारण सुगंधित मोती के रूप में जाना जाता है। 28 सितंबर को जारी एक अधिसूचना में पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्री जाम कमाल खान ने कहा कि सरकार ने पाकिस्तान चावल निर्यातक संघ (आरईएपी) के अनुरोध पर एमईपी को समाप्त करने का काम किया है। खान ने कहा कि वैश्विक स्तर पर चावल की बढ़ती कीमतों और पिछले साल गैर-बासमती चावल पर भारत के निर्यात प्रतिबंध के जवाब में न्यूनतम निर्यात मूल्य लागू किया गया था।

भारत की हिस्सेदारी सबसे बड़ी

दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश भारत है। भारत के पास वैश्विक चावल व्यापार का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा और बासमती क्षेत्र में 65 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है। थाईलैंड और वियतनाम के बाद चौथा सबसे बड़ा चावल निर्यातक पाकिस्तान बासमती बाजार का शेष 35 प्रतिशत हिस्सा बरकरार रखता है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में, भारत ने चावल की बिक्री से 11 बिलियन डॉलर से अधिक की कमाई की। जिसमें अकेले 4.5 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक बासमती चावल ने 4.7 बिलियन डॉलर से अधिक की कमाई की।

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