India News (इंडिया न्यूज़), Indian Dies in US: अमेरिका में भारतीय मूल के छात्रों की मौत का सिलसिला लगातार थमने का नाम नहीं ले रहा है। साथ ही इसको लेकर यह दावा है कि इस साल अब तक भारतीय मूल के कम से कम 11 छात्रों की मौत का मामला सामने आ चुका है। बीते मंगलवार को ही अमेरिका के क्लीवलैंड शहर में 25 साल के मोहम्मद अब्दुल अराफात मृत पाए गए थे। अराफात क्लीवलैंड यूनिवर्सिटी से आईटी में मास्टर्स की पढ़ाई करने गए। अराफात करीब एक महीने से लापता थे और उनकी तलाश के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा था।
जारी रिपोर्ट के मुताबिक, अराफात 5 मार्च को अपने घर से निकले और फिर वापस नहीं लौटे। आखिरी बार उन्होंने अपने परिवार से 7 मार्च को बात की थी। उनके पिता ने कहा कि 19 मार्च को उन्हें एक फोन आया था, जिसमें अराफात की रिहाई के लिए 1,200 डॉलर की फिरौती मांगी गई थी। बता दें कि, ऐसी घटनाओं में अचानक बढ़ोतरी से अमेरिका में रह रहे भारतीयों और भारतीयों में डर का माहौल है। इस बीच, फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (FIIDS) ने इन घटनाओं का विश्लेषण करके मौतों के संभावित कारणों का पता लगाने की कोशिश की है।
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बता दे कि, बोस्टन में रहने वाली लक्ष्मी थलांकी ने 10 मौतों के आंकड़ों का विश्लेषण किया और समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि भारतीय छात्रों की मौत की बढ़ती घटनाएं चिंताजनक और संदेहास्पद हैं। मामले को लेकर फाउंडेशन ने कहा कि, भारतीय छात्रों की मौत के कारणों में संदिग्ध गोलीबारी या अपहरण के अलावा मानसिक तनाव के कारण आत्महत्या और हिंसक अपराध शामिल हैं। इसके अलावा छात्रों को हाइपोथर्मिया जैसी चीजों के बारे में भी पता नहीं होता है, जो उनकी मौत का एक कारण है।
पिछले ही हफ्ते ओहायो में भारतीय छात्रा उमा सत्य साई गड्डे की भी मौत हो गई थी। पुलिस इसकी जांच कर रही है। पिछले महीने सेंट लुइस में 34 वर्षीय शास्त्रीय नर्तक अमरनाथ घोष की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
बीते मंगलवार को FIIDS ने इन मौतों के संबंध में विदेश विभाग, न्याय विभाग, शिक्षा विभाग, विश्वविद्यालयों, छात्र संगठन के साथ-साथ भारतीय-अमेरिकी समुदाय को कुछ सिफारिशें सौंपीं। फाउंडेशन ने कहा कि जब से संदिग्ध मौतों की घटनाएं बढ़ी हैं, भारतीय अमेरिकी समुदाय के लोगों के आसपास घृणा अपराध की घटनाएं भी बढ़ी हैं। विशेषकर क्लीवलैंड, इलिनोइस और इंडियाना राज्य में। फाउंडेशन ने कहा कि, कुछ लोगों को डर है कि समुदाय के खिलाफ नकारात्मक प्रचार से घृणा अपराधों को बढ़ावा मिल रहा है।
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